जन्मकुंडली का 11 वां भाव जाना जाता है लाभ भाव के रूप में

जन्मकुंडली का ग्यारहवां भाव (11 वां भाव) ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे "लाभ भाव" भी कहते हैं, क्योंकि यह भाव लाभ, इच्छाओं की पूर्ति, आय और सामाजिक संबंधों से जुड़ा होता है।

Written By : नीतेश तिवारी | Updated on: June 8, 2025 10:30 pm

11 वां भाव यानि लाभ भाव
भाव का स्वभाव उपचय भाव (वृद्धि करने वाला)
प्रमुख विषय लाभ, आय, मित्र, आकांक्षाएं, सफलता
संबंधित शरीर का अंग पिंडलियाँ, घुटनों के नीचे का भाग
संबंधित रिश्ते बड़े भाई-बहन, मित्र मंडली, सामाजिक नेटवर्क
प्राकृतिक स्वामी कुंभ (Aquarius) राशि और शनि ग्रह

11वें भाव से देखे जाने वाले मुख्य विषय:

1. लाभ (Income) – व्यक्ति को जीवन में कितना धन, सफलता और आर्थिक उन्नति मिलेगी।

2. इच्छाओं की पूर्ति (Fulfillment of Desires) – कौनसी इच्छाएं पूरी होंगी और जीवन में कितनी संतुष्टि मिलेगी।

3. मित्र (Friends) – व्यक्ति के दोस्त कैसे होंगे, मित्रों से सहयोग मिलेगा या नहीं।

4. बड़े भाई-बहन (Elder Siblings) – उनसे संबंध कैसे रहेंगे।

5. सोशल नेटवर्क – समाज में कितनी पहचान बनेगी।

ग्रहों का प्रभाव:

ग्रह प्रभाव (11वें भाव में)

बुध – अच्छी कम्युनिकेशन से लाभ, व्यापार में सफलता

शुक्र – कला, फैशन या सुंदरता से लाभ

शनि -धीमा लेकिन स्थायी लाभ, कड़ी मेहनत से सफलता

गुरु – (बृहस्पति) बड़े लाभ, शुभ मित्र, अच्छे मार्गदर्शन से उन्नति

राहु – अचानक लाभ, विदेशी संपर्क, अनोखे मित्र

केतु- रहस्यमयी लाभ, ध्यान या रहस्य से जुड़ी सफलता

जब 11 वें भाव में कोई ग्रह नीच, वक्री या पापी हो:

आय में रुकावट

मित्रों से धोखा

इच्छाएं अधूरी रहना

बड़े भाई से टकराव

जन्मकुंडली के 11 वां भाव (लाभ भाव) में स्थित ग्रह व्यक्ति की आय, लाभ, इच्छाओं की पूर्ति, मित्र मंडली, और बड़े भाई-बहनों से संबंध को प्रभावित करते हैं। हर ग्रह इस भाव में अलग-अलग प्रभाव डालता है – कुछ शुभ होते हैं, कुछ अशुभ, और कुछ मिलेजुले परिणाम देते हैं।

 11 वें भाव में ग्रहों के शुभ-अशुभ प्रभाव:

सूर्य -सरकारी नौकरी या उच्च पद से लाभ, राजनैतिक सफलता, प्रभावशाली मित्र अहंकार के कारण मित्रों से दूरी, बड़े भाई से मतभेद, अकेलापन
चंद्रमा -लोकप्रियता, भावनात्मक मित्र, स्त्रियों से लाभ, कल्पनाशक्ति से धन भावनात्मक उतार-चढ़ाव, अस्थिर आय, मित्रों से निराशा
मंगल -साहसी मित्र, भूमि/सेना से लाभ, भाई से सहयोग मित्रों से लड़ाई, क्रोध के कारण संबंध टूटना, लाभ में बाधा
बुध –व्यापार में लाभ, बुद्धिमान मित्र, संचार कौशल से उन्नति चालाक मित्रों से धोखा, छोटी-छोटी बातों में उलझाव
गुरु (बृहस्पति)- बड़े लाभ, धार्मिक या शिक्षित मित्र, गुरु से सहायता आलस्य, अत्यधिक आशावादिता के कारण अवसर चूकना
शुक्र -विलासिता से लाभ, स्त्रियों से सहयोग, कला-संगीत से आय वासनात्मक मित्रता, प्रेम में धोखा, अपव्यय
शनि – मेहनत से स्थायी लाभ, बुज़ुर्गों या गरीबों से सहयोग लाभ में देरी, अकेलापन, मित्रों से दूरी, भाई से दूरी
राहु – विदेशी संपर्कों से लाभ, तकनीकी क्षेत्र से उन्नति, अचानक पैसा धोखेबाज मित्र, भ्रमित इच्छाएं, अनैतिक आय
केतु –आध्यात्मिक लाभ, रहस्यमयी लाभ, मौन सहयोग लाभ में अस्पष्टता, मित्रों से दूरी, लक्ष्य में भटकाव

कुछ विशेष योग:

गुरु + शुक्र = बहुत शुभ, आय के कई स्रोत, अच्छे मित्र

मंगल + राहु = अचानक धन, लेकिन जोखिम भी

शनि + बुध = व्यापार से लाभ, लेकिन धैर्य जरूरी

केतु + चंद्र = ध्यान या रहस्य से लाभ, पर मानसिक भ्रम

(नीतेश तिवारी, एमसीए, एमएचए हैं और ज्योतिष शास्त्र के अच्छे जानकार हैं.)

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