जानें क्यों बहुत महत्वपूर्ण होता है कुंडली का पांचवां भाव ?

कुंडली (जन्मपत्री) में पाँचवाँ भाव (5th House) बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे "पुत्र भाव" भी कहा जाता है, और यह जीवन के कई पहलुओं से जुड़ा होता है।

Written By : नीतेश तिवारी | Updated on: April 28, 2025 7:31 pm

मुख्य रूप से पांचवां भाव दर्शाता है:-

संतान सुख (children and progeny)

शिक्षा (education, especially higher learning)

प्रेम संबंध (love affairs)

रचनात्मकता (creativity, arts, performance)

बुद्धिमत्ता और मानसिक क्षमता (intelligence, mental abilities)

सौभाग्य (fortune from past karmas)

शौक, मनोरंजन, खेलकूद (hobbies, sports, entertainment)

शेयर मार्केट, सट्टा आदि में निवेश (speculative gains)

अगर पांचवां भाव मजबूत हो:

व्यक्ति बुद्धिमान, रचनात्मक और प्रेमपूर्ण स्वभाव का होता है।

संतान से सुख मिलता है।

शिक्षा में अच्छी सफलता मिलती है।

प्रेम संबंध अच्छे और स्थिर रहते हैं।

speculative activities (जैसे शेयर बाजार) में लाभ मिल सकता है।

अगर पांचवां भाव कमजोर या अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो:

संतान में समस्याएँ आ सकती हैं (जैसे संतान का न होना या संतान से कष्ट)।

शिक्षा में बाधाएँ आ सकती हैं।

प्रेम संबंधों में धोखा या विफलता हो सकती है।

रचनात्मकता में कमी आ सकती है।

पाँचवे भाव का स्वामी (Lord of 5th House) और उसमें स्थित ग्रहों और राशियों का भी बहुत बड़ा महत्व होता है।
उदाहरण के लिए:

यदि पाँचवें भाव में बुध बैठा है और शुभ है, तो व्यक्ति बुद्धिमान और बहुत अच्छा लेखक या वक्ता हो सकता है।

यदि शनि पीड़ित अवस्था में है, तो शिक्षा में देरी या संतान में कठिनाई हो सकती है।

1. सूर्य (Sun)

शुभ फल: संतान से सुख, नेतृत्व क्षमता, शिक्षा में सम्मान, बुद्धिमानी।

अशुभ फल: संतान से अलगाव, गर्व या अहंकार, शिक्षा में बाधाएँ।

2. चन्द्रमा (Moon)

शुभ फल: संवेदनशील संतान, रचनात्मकता, कल्पनाशक्ति में वृद्धि, प्रेम में सफलता।

अशुभ फल: मानसिक अस्थिरता, संतान सुख में कमी, प्रेम संबंधों में धोखा।

3. मंगल (Mars)

शुभ फल: संतान में साहस, खेल-कूद में सफलता, शिक्षा में प्रतियोगिता में जीत।

अशुभ फल: संतान से झगड़े, प्रेम संबंधों में आक्रामकता, शिक्षा में रुकावट।

4. बुध (Mercury)

शुभ फल: तेज बुद्धि, शिक्षा में उत्कृष्टता, संचार कौशल, व्यापार में लाभ।

अशुभ फल: चंचलता, पढ़ाई में अनियमितता, प्रेम में विश्वास की कमी।

5. गुरु / बृहस्पति (Jupiter)

शुभ फल: उत्तम संतान योग, उच्च शिक्षा में सफलता, धार्मिकता, सौभाग्य।

अशुभ फल: संतान प्राप्ति में देरी, शिक्षा में आलस्य, अति-भरोसा करना।

6. शुक्र (Venus)

शुभ फल: प्रेम संबंधों में सुख, कला, संगीत में प्रतिभा, रचनात्मकता में वृद्धि।

अशुभ फल: प्रेम संबंधों में अधिक भटकाव, विलासिता की अधिकता, संतान से वियोग।

7. शनि (Saturn)

शुभ फल: धैर्यवान संतान, शिक्षा में मेहनत से सफलता, संयमित प्रेम संबंध।

अशुभ फल: संतान में विलंब या कष्ट, शिक्षा में बाधाएँ, प्रेम में ठंडापन।

8. राहु (Rahu)

शुभ फल: यदि शुभ स्थिति में हो तो तकनीकी शिक्षा में सफलता, विदेश में संतान सुख।

अशुभ फल: संतान से धोखा, प्रेम में छुपे हुए विवाद, अनैतिक कार्यों की प्रवृत्ति।

9. केतु (Ketu)

शुभ फल: आध्यात्मिक संतान, गहरी शिक्षा, ध्यान और साधना में रुचि।

अशुभ फल: संतान से दूरी, शिक्षा में अनमनेपन का भाव, प्रेम में विरक्ति।

फल ग्रह की स्थिति (उच्च/नीच, मित्र/शत्रु राशि आदि), दृष्टि (aspect) और अन्य ग्रहों के साथ युति (conjunction) पर भी निर्भर करते हैं।

यदि कोई ग्रह नीच का हो या शत्रु राशि में हो तो उसका नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है।

1. मेष राशि (Aries) – पाँचवें भाव में

शुभ फल: साहसी संतान, रचनात्मकता में तेज़ी, प्रेम में पहल करने वाला स्वभाव।

अशुभ फल: जल्दबाज़ी से प्रेम में विफलता, संतान से झगड़े, शिक्षा में उतावलापन।

2. वृषभ राशि (Taurus)

शुभ फल: स्थिर प्रेम संबंध, कला-संगीत में रुचि, संतान में सौंदर्य और शिष्टता।

अशुभ फल: प्रेम में जिद्द, शिक्षा में आलस्य, भोग-विलास में अधिक लिप्तता।

3. मिथुन राशि (Gemini)

शुभ फल: बुद्धिमत्ता, लेखन, वाणी में चातुर्य, प्रेम में संवादप्रियता।

अशुभ फल: चंचल प्रेम संबंध, शिक्षा में एकाग्रता की कमी, दोहरी मानसिकता।

4. कर्क राशि (Cancer)

शुभ फल: संवेदनशील संतान, प्रेम में गहराई, शिक्षा में अच्छा मनोबल।

अशुभ फल: अत्यधिक भावुकता से प्रेम में कष्ट, संतान से अत्यधिक चिंता।

5. सिंह राशि (Leo)

शुभ फल: नेतृत्व क्षमता, संतान में गौरव का भाव, प्रेम में निष्ठा।

अशुभ फल: अहंकार के कारण प्रेम विफल, संतान पर अधिकार जताने की प्रवृत्ति।

6. कन्या राशि (Virgo)

शुभ फल: शिक्षा में परिश्रम, विश्लेषणात्मक संतान, प्रेम में व्यावहारिकता।

अशुभ फल: अत्यधिक आलोचना करना, प्रेम में संदेह या असंतोष।

7. तुला राशि (Libra)

शुभ फल: सुंदर प्रेम संबंध, कला-सौंदर्य में रुचि, संतान में संतुलन।

अशुभ फल: निर्णय में असमंजस, प्रेम में दिखावा या अस्थिरता।

8. वृश्चिक राशि (Scorpio)

शुभ फल: गहरी प्रेम भावना, संतान में साहस, रिसर्च या गहन अध्ययन में रुचि।

अशुभ फल: प्रेम में अत्यधिक जलन, संतान से छुपे तनाव, शिक्षा में कटु अनुभव।

9. धनु राशि (Sagittarius)

शुभ फल: उच्च शिक्षा में सफलता, धार्मिक प्रवृत्ति की संतान, प्रेम में ईमानदारी।

अशुभ फल: प्रेम में अति-स्वतंत्रता से दूरी, शिक्षा में अधीरता।

10. मकर राशि (Capricorn)

शुभ फल: धैर्यशील संतान, शिक्षा में कठोर परिश्रम, प्रेम में गंभीरता।

अशुभ फल: प्रेम में दूरी या शुष्कता, शिक्षा में विलंब।

11. कुंभ राशि (Aquarius)

शुभ फल: वैज्ञानिक दृष्टिकोण, प्रेम में मित्रता प्रधान, अनूठी रचनात्मकता।

अशुभ फल: प्रेम में अति-सामाजिकता, संतान से अपेक्षाएं पूरी न होना।

12. मीन राशि (Pisces)

शुभ फल: कल्पनाशीलता, आध्यात्मिक संतान, प्रेम में त्याग।

अशुभ फल: भ्रमित प्रेम संबंध, शिक्षा में भटकाव

महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखें:

केवल राशि से निष्कर्ष निकालना अधूरा होता है।

उसमें स्थित ग्रहों, पंचम भाव के स्वामी (5th lord), और अन्य ग्रहों की दृष्टियों को भी देखना चाहिए।

नीच राशि या शत्रु राशि में पंचम भाव हो तो नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकता है, वहीं उच्च राशि या मित्र राशि में पांचवां भाव हो तो अच्छे परिणाम मिलते हैं।

(नीतेश तिवारी, एमसीए, एमएचए हैं और ज्योतिष शास्त्र के अच्छे जानकार हैं.)

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