नरेंद्र मोदी के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं’ से सबक नहीं ले सका विपक्ष

दिल्ली चुनाव के नतीजों ने ये साबित कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' की विपक्षी गठबंधन INDIA के घटक दल समझ ही नहीं सके।

Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: February 10, 2025 11:50 pm

दिल्ली विधानसभा के चुनावी नतीजों ने न सिर्फ दिल्ली के बल्कि तमाम देश के लोगों को चौंका दिया है। प्रधानमंत्री मोदी को दिल्ली में सत्ता आम आदमी पार्टी (AAP) को हराने के लिए दूसरा जन्म लेने की चुनौती देने वाले आप के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल न सिर्फ सत्ता से बाहर हो गए बल्कि खुद चुनाव हार गए। वे ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे को अमल में नहीं लाने की वजह से इस गति को प्राप्त हुए।

इंडिया यानी Indian National Developmental Inclusive Alliance के प्रमुख घटक दलों में एक कांग्रेस AAP को हराने में कामयाब रही। जो गलती हरियाणा में कांग्रेस ने की वहीं गलती दिल्ली में आप ने दोहराई। अंतर इतना ही था कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने आप को भाव नहीं दिया और उसका बदला आप ने दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को भाव नहीं देकर लिया। नतीजा सामने है विपक्षी एकता की दुहाई देते रहने के बाद भी गठबंधन में शामिल दोनों दलों ने ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे पर विश्वास नहीं किया। इस वजह से हरियाणा और दिल्ली दोनों जगहों पर सत्ता पाने से चूक गए।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुख पत्र सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि आप और कांग्रेस ने एक दूसरे को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी और मोदी-शाह के लिए जगह बनी। यहां दिल्ली के चुनाव परिणामों का विश्लेषण करें तो दिल्ली विधानसभा की कुल 14 ऐसी सीटें रहीं जहां आम आदमी पार्टी बहुत कम अंतर से भाजपा से हारी। भाजपा को जीत दिलाने के लिए कांग्रेस ने वोट कटवा की भूमिका निभाई। आप से नेता अरविंद केजरीवाल 4089 वोट से हारे है जबकि नई दिल्ली की इस सीट से कांग्रेस को कुल 4567 वोट मिले हैं।

आप के नंबर दो मनीष सिसोदिया जंगपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और मात्र 475 वोट से हारे जबकि इस सीट से कांग्रेस  प्रत्याशी को 73350 वोट मिले। इसी तरह संगम विहार,  तिमारपुर , राजेंद्र नगर,  मालवीय नगर, त्रिलोकपुरी जैसी सीटें है जहां से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बहुत कम वोटों से हारे हैं और वहां से चुनाव लड़ रहा कांग्रेस प्रत्याशी को ज्यादा वोट मिले हैं.

एक नहीं रहे तो सेफ भी नहीं रहे और भाजपा ने अपराजित मानी जा रही आम आदमी पार्टी को 22 सीटों पर सिमटा दिया और खुद 48 सीटें जीतकर 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। भाजपा की एकजुटता सही में तारीफ के काबिल है।

ये भी पढ़ें :-दिल्ली चुनाव 2025: ‘आप’ का किला क्यों ढह गया?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *