Ganga in Varanasi : घटना उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गंगा नदी के घाट पर हुई। यहां 25 अगस्त की सुबह 10 बजे जल पुलिस और एनडीआरएफ ने एक छात्र वैभव का शव नदी से बरामद किया। उसके दो साथी एक छात्र ऋषि और एक छात्रा सोना सिंह की तलाश जारी है। तीनों 24 अगस्त की रात एक बजे नदी के सामने घाट पर घूम रहे थे, तभी इनमें से एक सोना सिंह सेल्फी लेने के चक्कर में Ganga में गिर गई । उसे बचाने के लिए वैभव और ऋषि ने भी नदी में छलांग लगा दी। वैभव और ऋषि को 25 अगस्त सुबह 5 की ट्रेन से वाराणसी से पढ़ाई के लिए जयपुर आना था। रात में ही घटना के कुछ देर बाद जल पुलिस और एनडीआरएफ मौके पर पहुंचीं और लापता छात्रों और छात्रा की तलाश करने लगी। आज सुबह 10 बजे उन्हें एक छात्र वैभव का शव बरामद हुआ। दो की तलाश जारी है।
कैसे हुआ हादसा
घटना से एक दिन पहले 24 अगस्त को 6 स्टूडेंट्स का ग्रुप पटना से वाराणसी घूमने आया था। इनमें से दो छात्रों का 25 अगस्त सुबह 5 बजे वाराणसी से जयपुर के लिए ट्रेन का टिकट था। इसलिए सभी 6 छात्र-छात्राएं वाराणसी में घूमने लगे। रात करीब 1 बजे Ganga River के सामने घाट पर तीन स्टूडेंट्स सोना, वैभव और ऋषि घूम रहे थे, लेकिन तभी एक छात्रा सोना सिंह सेल्फी लेने का चक्कर में नदी में गिर गई और आनन- फानन में दोनों छात्र वैभव और ऋषि भी नदी में कूद गए, काफी देर तक बाकी स्टूडेंट्स तीनों का इंतजार करते रहे लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने तीनों को डूबते हुए देखा और पास के एक स्थानीय दुकानदार को उनकी मदद करने को कहा लेकिन तब तक तीनों नदी में डूब चुके थे। उसके बाद रात करीब 3 बजे जल पुलिस और एनडीआरएफ घटनास्थल पर पहुंची और गोताखाेर की मदद से खोजबीन करने लगी। उनमें से आज एक छात्र का शव मिला।
तीनों स्टूडेंट्स क्या पढ़ाई कर रहे थे
मृतक वैभव उम्र 21 वर्ष पटना के चांदमारी मोहल्ला का रहने वाला और अभी विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी जयपुर में एलएलबी फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था।
दूसरा छात्र ऋषि उम्र 21 वर्ष मोतिहारी का रहने वाला अभी पटना के एमएस कॉलेज में बीए थर्ड ईयर का स्टूडेंट था। तीसरी छात्रा सोना सिंह उम्र 19 वर्ष भी मोतिहारी की रहने वाली और अभी पटना में फिजियोथेरेपी का कोर्स कर रही थी।
तीनों स्टूडेंट की फोटो

मृतक छात्र वैभव के पिताजी का बयान
वैभव के पिता सत्य प्रकाश सिंह किसान है और खेती करते हैं। उन्होंने रोते हुए बोला कि उनका इकलौता बेटा दुनिया से चला गया अब वह क्या करेंगे, कौन उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा। सब कुछ खत्म हो गया।
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