ट्रंप ने H-1B वीजा पर लगाई 1 लाख डॉलर फीस, भारतीय पेशेवर परेशान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया आदेश जारी कर H-1B वीजा पर भारी फीस लगाने का फैसला किया है। अब इस वीजा को पाने के लिए कंपनियों को प्रति आवेदक 1 लाख डॉलर सालाना चुकाने होंगे। यह नियम 21 सितंबर 2025 से लागू होगा। इस कदम का सबसे बड़ा असर भारतीय पेशेवरों और आईटी कंपनियों पर पड़ने की आशंका है, क्योंकि H-1B वीजा धारकों में भारतीयों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है।

Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: September 21, 2025 12:16 am

भारतीय विदेश मंत्रालय ने H-1B वीजा पर इस निर्णय को “मानव-हित पर असर डालने वाला” बताया है और कहा है कि इससे परिवार टूट सकते हैं। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने समय रहते इस मुद्दे पर अमेरिका से बातचीत नहीं की और भारतीय हितों की रक्षा में विफल रही।

 विशेषज्ञों की राय
भारतीय विशेषज्ञों  ने इस फैसले को  “शॉकिंग” बताया है और कहा है कि इससे H-1B कार्यक्रम ही खत्म होने की कगार पर आ सकता है। इसे भारतीय आईटी कंपनियों के लिए भारी आर्थिक बोझ बताया है। कहा तो ये भी जा रहा है कि यह फीस कई भारतीय पेशेवरों की सालाना सैलरी से भी ज्यादा है और ये उनके ‘अमेरिकन ड्रीम’ को प्रभावित कर सकती है। इस आदेश के चलते हजारों परिवार भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति में रहेंगे।

उद्योग जगत की चिंता
भारतीय आईटी कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था नैसकॉम ने चेतावनी दी है कि इतनी ऊँची फीस से अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा घट सकती है और परियोजनाओं पर सीधा असर पड़ेगा। उद्योग जगत का मानना है कि यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव भी बढ़ा सकता है।

कानूनी पहलू
कई प्रवासी वकीलों ने इस आदेश की वैधता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इतनी बड़ी फीस लगाना केवल कांग्रेस का अधिकार है और राष्ट्रपति के आदेश से यह लागू करना संवैधानिक चुनौती का कारण बन सकता है। कुल मिलाकर, यह फैसला भारतीय पेशेवरों और कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा न केवल कानूनी बहस बल्कि कूटनीतिक रिश्तों का भी अहम हिस्सा बनने जा रहा है।

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