इसी के साथ ही मास्को ( Moscow) से अच्छी खबर मिली जिसमें रूस के राष्ट्रपति पुतिन ( President Putin) ने युद्धविराम ( Ceasefire) के लिए अपनी शर्ते बताईं कि यदि यूक्रेन ऐसा करता है तो युद्ध रोका जा सकता है और बातचीत की प्रक्रिया शुरु की जा सकती है।
चीनी कंपनियों पर लगेगा प्रतिबंध
जी 7 में मोदी ने कहा कि भारत ( India) वार्ता और कूटनीति के जरिये यूक्रेन में शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा। उन्होंने शनिवार से स्विट्जरलैंड ( Switzerland) में हो रहे शांति शिखर सम्मेलन ( Peace summit) में भी भारत के भाग लेने का आश्वासन दिया। इसके लिए जेलेंस्की ( Volodymyr Zelenskyy) ने उन्हें आमंत्रित किया था। जी 7 के देशों ने यह भी कहा कि युद्ध में परोक्ष रूप से रूस की मदद करने वाली चीनी कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाये जाएंगे और समूह के सभी देश जब तक जरूरत होगी यूक्रेन ( Ukraine) के साथ खड़े रहेंगे और उसके पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक मदद जारी रखेंगे।
नाटो में न शामिल होने की मांग प्रमुख
जी 7 में यूक्रेन ( Ukraine) संघर्ष की चर्चा होने पर रूस (Russia) ने कहा है कि यदि यूक्रेन अपने कब्जे वाले चार क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी शुरू कर दे और नाटो ( NATO) में शामिल न होने का वादा करे तो रूस युद्ध विराम ( Ceasefire) के लिए तैयार है और बातचीत शुरू कर सकता है। पुतिन ( President Putin) ने कहा है कि वह बातचीत करने के लिए तैयार हैं। वह भी समस्या का समाधान चाहते हैं। पुतिन के प्रस्ताव पर यूक्रेन की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन लगता है कि रूस की मांगें उसे स्वीकार नहीं होंगीं। वह नाटो में शामिल होना चाहता है और रूस ने हमले के समय इसे ही मुख्य बहाना बनाया था। यूक्रेन चाहता है कि रूस उसके जीते क्षेत्रों से तत्काल अपनी सेनाएं वापस बुलाये।
शिखर सम्मेलन में भारत भाग लेगा
यूक्रेन में शांति स्थापना के लिए स्विट्जरलैंड में शनिवार से विश्व के कई देशों का सम्मेलन हो रहा है। इसमें रूस ने शामिल होने से इन्कार किया है जब कि स्विट्जरलैंड चाहता है कि वह भी किसी न किसी रूप में शामिल हो। रूस का कहना है कि इस शिखर सम्मेलन से कोई नतीजा नहीं निकलेगा। चीन ने भी इसमें भाग लेने से मना कर दिया है जबकि भारत,तुर्की और हंगरी जैसे रूस के मित्र देश इसमें भाग ले रहे हैं। अभी यह उम्मीद करना जल्दबाजी होगी कि इस शिखर सम्मेलन से कोई ठोस नतीजा निकलेगा लेकिन यह बातचीत और शांति का रास्ता बनाता तो दिख रहा है। इसमें फ्रांस, अमेरिका,ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, जापान, पोलैंड आदि देशेां के राष्ट्राध्यक्ष भाग ले रहे हैं।
युद्ध में हजारों मरे
रूस ने फरवरी 2014 में यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद 22 फरवरी 2024 को उसने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। अब तक दोनों देशों के बीच हुए संषर्ष में हजारों लोग मारे गए हैं और अरबों डालर की संपत्ति का नुकसान हुआ है। रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य न बने क्यों कि ऐसा होने से नाटो रूस के दरवाजे तक पहुंच जाएगा जबकि यूक्रेन अपनी सुरक्षा के लिए नाटो का सदस्य होना चाहता है। नाटो (NATO) में शामिल होने से उस पर हमला नाटो पर हमला माना जाएगा और संधि के अनुसार ऐसा होने पर सभी सदस्य उसकी सैन्य मदद के लिए आगे आ जाएंगे जो रूस के लिए कठिन स्थिति होगी।