‘वंदे मातरम्’ कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. योगेश सिंह, डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, महाविद्यालय के चेयरमैन प्रो. डी. एस. चौहान, प्राचार्या प्रो. भावना पाण्डेय तथा दयाल सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. वी. के. पालीवाल विशेष रूप से उपस्थित रहे।
अपने उद्बोधन में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् भारतीय राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक गौरव और देशभक्ति का अमर प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 150 वर्ष पूर्ण होना केवल उत्सव नहीं, बल्कि इस कृति के ऐतिहासिक योगदान को सम्मान देने का अवसर है। उन्होंने बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के अप्रतिम साहित्यिक योगदान का विशेष स्मरण करते हुए बताया कि इस गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनचेतना को नई दिशा दी।
प्राचार्या प्रो. भावना पाण्डेय ने महाविद्यालय की गौरवपूर्ण धरोहर का उल्लेख करते हुए वंदे मातरम् में निहित राष्ट्रप्रेम और एकता के संदेश को रेखांकित किया। वहीं, चेयरमैन प्रो. डी. एस. चौहान ने भी राष्ट्रीय गीत की ऐतिहासिक भूमिका तथा स्वतंत्रता आंदोलन में उसकी प्रेरक शक्ति पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने सामूहिक स्वर में वंदे मातरम् का गायन कर राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत वातावरण प्रस्तुत किया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
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