उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी, एनडीए या विपक्ष किसका है पलड़ा भारी ?

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, इसको लेकर सियासी गलियारों में अटकलों का दौर जारी है। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों ही अपने समीकरण साधने में जुटे हैं। इसी बीच, 23 जुलाई को चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने साफ कर दिया कि उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है, और इसके लिए निर्वाचन मंडल (Electoral College) के गठन का कार्य भी शुरू हो चुका है।

Written By : महिमा चौधरी | Updated on: July 23, 2025 11:25 pm

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों, लोकसभा (Lok Sabha) और  राज्यसभा (Rajya Sabha) के, निर्वाचित एवं नामांकित सदस्यों द्वारा किया जाता है। वर्तमान में लोकसभा की कुल 543 सीटों में से एक सीट बशीरहाट (पश्चिम बंगाल) की रिक्त है, जबकि राज्यसभा की 245 सीटों में से पांच स्थान खाली हैं—चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से। ऐसे में प्रभावी निर्वाचक संख्या (Effective Electoral Strength) 782 है। बहुमत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 392 मतों की आवश्यकता होगी।

एनडीए (NDA) इस चुनाव में फिलहाल बढ़त में दिखाई दे रहा है। लोकसभा में उसे 293 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जबकि राज्यसभा में 129 सांसद उसके पक्ष में हैं। इस प्रकार कुल 422 सांसदों का समर्थन एनडीए के पक्ष में जाता है, जो जीत के लिए आवश्यक संख्या से कहीं अधिक है। दूसरी ओर, कांग्रेस के पास लोकसभा में 99 और राज्यसभा में 27 सदस्य हैं। यदि विपक्षी गठबंधन INDIA bloc पूरी तरह एकजुट रहता है, तो यह संख्या 350 के पार जा सकती है, पर हाल ही में आम आदमी पार्टी (AAP) के इस गठबंधन से बाहर निकलने से विपक्ष की रणनीति कुछ कमजोर हुई है।

संविधान का अनुच्छेद 66 (1) यह स्पष्ट करता है कि उपराष्ट्रपति (Vice President) का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System) से और गुप्त मतदान (Secret Ballot) के जरिए किया जाता है। इस प्रणाली में सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता के अनुसार अंकित करते हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि, प्रक्रिया तय समय पर पूरी होगी और सभी राजनीतिक दलों को नामांकन और प्रचार का पर्याप्त अवसर मिलेगा। वहीं सत्तापक्ष ने संकेत दिए हैं कि वे इस बार पूर्वोत्तर, तमिलनाडु और बंगाल जैसे राज्यों से किसी वरिष्ठ नेता को उम्मीदवार बना सकते हैं, जिससे व्यापक सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। आगामी सप्ताहों में जब उम्मीदवारों की सूची सामने आएगी, तब ही यह स्पष्ट होगा कि किस खेमे का प्रत्याशी अगले उपराष्ट्रपति के रूप में संसद भवन में शपथ लेगा।

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