वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर संसद की संयुक्त समिति की बैठक में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद विपक्ष के 10 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। विपक्षी सांसदों ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर विधेयक को जल्दबाजी में पारित करने और कार्यवाही को “मजाक” बनाने का आरोप लगाया।
हंगामे के बीच मीरवाइज उमर फारूक का बयान
बैठक का मुख्य आकर्षण कश्मीर के धार्मिक नेता और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक की उपस्थिति रही। उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में “अनावश्यक हस्तक्षेप” करार दिया। मीरवाइज ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी बातों को सुनेगी और ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे मुस्लिम समुदाय को असहज महसूस हो।”
विपक्ष का आरोप: बैठक का एजेंडा बदलने का आरोप
निलंबित सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, डीएमके के ए. राजा, कांग्रेस के नसीर हुसैन, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत सहित अन्य शामिल हैं। इन सांसदों का आरोप है कि अध्यक्ष पाल सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं और बैठक का एजेंडा बिना पूर्व सूचना के अचानक बदल दिया गया। ए. राजा ने कहा, “हमें बैठक का नया एजेंडा देर रात बताया गया, जिससे हमें तैयारी का समय नहीं मिला।”
अध्यक्ष का पक्ष
जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि समिति की कार्यवाही पूरी तरह लोकतांत्रिक तरीके से चलाई जा रही है। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी सदस्य जानबूझकर बैठक को बाधित कर रहे हैं। पाल ने कहा, “यह समिति की 35वीं बैठक थी, और मैंने सभी सदस्यों को अपने विचार रखने का पूरा मौका दिया। लेकिन बार-बार व्यवधान के कारण निलंबन का फैसला लेना पड़ा।”
सरकार और विपक्ष के बीच तीखा टकराव
बैठक के दौरान भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी ने तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी के व्यवहार को “अपमानजनक” बताते हुए कहा कि विपक्ष इस विधेयक को पटरी से उतारने की साजिश कर रहा है। वहीं, विपक्षी सांसदों ने निलंबन के फैसले को अलोकतांत्रिक बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर 27 जनवरी की बैठक को स्थगित करने की मांग की।
विधेयक पर चर्चा और विवाद
वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन में सुधार करना है। इसे 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया था। समिति का कार्यकाल पहले शीतकालीन सत्र में समाप्त होना था, लेकिन इसे बजट सत्र तक बढ़ा दिया गया है।
मीरवाइज ने कहा, “विधेयक से जम्मू-कश्मीर के लोगों को खासतौर पर चिंता है। हमने इस पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं और उम्मीद है कि सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी।”
अगले कदम
27 जनवरी की बैठक में समिति विधेयक के प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा करेगी और 29 जनवरी को अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है। हालांकि, विपक्ष ने इसे राजनीतिक मंशा से प्रेरित बताते हुए विरोध जारी रखने की बात कही है।
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