दिल्ली में जल संकट पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिपोर्ट, बताया ये है कारण

दिल्ली में जल संकट को लेकर गुरुवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हिमाचल प्रदेश ने दिल्ली को पानी देने से हाथ खड़े कर दिए। हिमाचल ने कहा कि उसके पास दिल्ली को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए हिमाचल सरकार को फटकार लगाई।

दिल्ली में जल संकट की तस्वीर
Written By : दीक्षा शर्मा | Updated on: June 14, 2024 6:47 am

दिल्ली के लोग इन दिनों भीषण गर्मी के साथ साथ पीने के पानी की कमी का भी सामना कर रहे हैं । इस जल संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई. इस मामले में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है.

दिल्ली सरकार ने अपने जवाबी हलफनामा में कहा कि वह टैंकर माफिया पर कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि टैंकर माफिया हरियाणा से ऑपरेट करते हैं। टैंकर माफिया हरियाणा की ओर से सक्रिय हैं जिनपर कार्र्वाई करना दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है ।

टैंकर माफिया को न रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया के खिलाफ कोई कार्र्वाई न करने पर दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि अगर दिल्ली सरकार टैंकर माफिया को रोकने में सफल नहीं रही तो हम दिल्ली पुलिस को लगाएंगे। अदालत ने पूछा कि हिमाचल से पानी आ रहा है तो ये दिल्ली में कहां जा रहा है ? हिमाचल प्रदेश से दिल्ली के लिए अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के मुद्दे पर साफ-साफ जानकारी नहीं दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, ‘तैयार रहिए, हम आपके अफसर को सीधे जेल भेजेंगे।’ कोर्ट ने संबंधित अफसर को कोर्ट में पेश होने कहा था। अदालत ने दिल्ली सरकार से हलफनामा देकर बताने को कहा है कि उसने पानी की बर्बादी रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

टैंकर माफिया पर दिल्ली सरकार ने कहा-

टैंकर माफिया यमुना नदी के हरियाणा की तरफ सक्रिय हैं और उनके पास इसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। यह हरियाणा को बताना है कि वह दिल्ली को पानी की पूरी आपूर्ति को जारी करने के बिंदु और प्राप्ति के बिंदु के बीच संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रहा है।

दिल्ली में पानी की बर्बादी को कम करने के लिएउठाए गए कदम 

• डीजेबी (दिल्ली जलबोर्ड) ने पिछले आठ सालों में लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी अपनी लीकेज और पुरानी जल लाइनों को बदल दिया है। इस तरह औसतन लगभग 437.5 किलोमीटर पुराने पाइप 1 साल में बदले जा रहे हैं।
• डीजेबी (DJB) खराब या गलत मीटरों को बदल रहा है।
• डीजेबी (DJB)ने एनआरडब्ल्यू (Non-revenue water)को कम करने के लिए घरेलू सेवा कनेक्शनों के रखरखाव का काम अपने हाथ में ले लिया है।
• डीजेबी ने प्राथमिक और माध्यमिक प्रणाली में लगभग 3285 बल्क फ्लो मीटर की स्थापना के लिए परियोजनाएं शुरू की है
• झंडेवालान में एक डेटा सेंटर (data center) बनाया गया है जहां वास्तविक समय में पानी की खपत का ऑनलाइन डेटा (Online data) प्राप्त होता है।
• लीक डिटेक्शन सेल ( Leak detection cell) को मजबूत किया गया है, जिसने पिछले 6 महीनों में लगभग 2000 लीकेज का पता लगाया है।
• डीजेबी (DJB) अपने जल नेटवर्क के माध्यम से 28.26 लाख सक्रिय उपभोक्ताओं को पानी की पूर्ति करता है।
• घरेलू सेवा कनेक्शनों को बेहतर सामग्री, यानी मध्यम घनत्व पॉलीथीन (MDP) से बदला जा रहा है।
• डीजेबी (DJB) ने पानी के मीटर प्राप्त करने की प्रणाली को सुव्यवस्थित कर दिया है और अनुमोदित विनिर्देशों के पानी के मीटर अब खुले बाजार से खरीदे जा सकते हैं।
• जिन उपभोक्ताओं के मीटर ख़राब हैं उन्हें निजी मीटर से बदलने की अनुमति दी गई है। ऐसे उपभोक्ता (Consumer) अपने मीटर की सिक्योरिटी वापस करा सकते हैं या अपने पानी के बिल में राशि समायोजित ( Adjust ) करा सकते हैं

हिमाचल प्रदेश सरकार पर भी जताई नाराजगी

जस्टिस मिश्रा ने पूछा, ‘हिमाचल ने इस कोर्ट के सामने पेश किया कि हमारे पास अतिरिक्त पानी है। और अब पत्र में कहा गया है कि हमारे पास जो पानी है, वह पहले ही छोड़ा जा चुका है, इसका मतलब है कि उनके पास कोई अतिरिक्त पानी नहीं है। दिल्ली सरकार याचिका का पूरा आधार यह है कि हिमाचल के पास अतिरिक्त पानी है, 137 क्यूसेक। फिर यदि आप इसे पहले ही छोड़ रहे हैं, तो हमारे आदेश के अनुसार 5 जून को ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (UYRB) की बैठक में इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई? बोर्ड को इसकी जानकारी कभी नहीं दी गई… इसके उलट, दूसरे दिन जब दस्तावेज़ पेश किया गया, तो आपके अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि यह दस्तावेज भी बोर्ड के समक्ष पेश किया गया है… न्यायालय में झूठे बयान क्यों दिए जा रहे हैं?’
उन्होंने कहा, “मुझे अच्छी तरह याद है कि पिछली सुनवाई मेरे मन में कुछ संदेह था और मैंने संबंधित अधिकारी का नाम दर्ज किया, जिसने अतिरिक्त महाधिवक्ता (हिमाचल के लिए) को अतिरिक्त पानी की उपलब्धता पर सूचना सौंपी थी।”

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