शिव-शक्ति

शिव को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है। शिव का शाब्दिक अर्थ है 'जो नहीं है' यानि शून्य। सबकुछ शून्य से निकलकर उसी शून्य में समाहित हो जाता है। शिवमय हो जाता है।

शिव अनादि अनंत

शिव अनादि और अनंत हैं। सबकुछ शिव में ही समाहित है इसलिए शिव को लोग संहार का देवता मानते हैं। वास्तव में शिव के अतिरिक्त किसी का कोई वजूद हो ही नहीं सकता।

शिव लिंग का महत्व

शिव लिंग वास्तव में भगवान शिव का प्रतिमाविहीन प्रतीक है। उस निराकार परमशक्ति यानि शून्य का जिसमें सभी समाहित हो जाते हैं। दुनिया में शिवलिंग की पूजा ही शिव की पूजा है।