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महाकुंभ में SC/ST समाज के 71 संत बनेंगे Mahamandleshwar
अगले वर्ष के जनवरी और फरवरी में प्रयागराज महाकुंभ को लेकर बड़ा फैसला किया गया है। जूना अखाड़ा के संतों ने धर्मांतरण को रोकने के लिए पूरे देश से एससी एसटी समाज के 71 संतो को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला किया है। महामंडलेश्वर बनने के लिए इन्हें कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा और इसके बाद इन्हें मठ मंदिरों की जिम्मेदारी दी जाएगी।
Written By : सुनील कुमार साहू | Updated on: October 13, 2024 3:32 pm
अगले वर्ष वर्ष 2025 के जनवरी और फरवरी में होने वाले महाकुंभ को लेकर जूना अखाड़ा ने एक बड़ा निर्णय लिया है। जूना अखाड़ा ने पूरे देश में ईसाई और बौद्ध धर्म के मिशनरियों द्वारा आदिवासी और अनुसूचित जाति के लोगों का धर्मांतरण कराने को लेकर चिंता जताई है । इसलिए अखाड़े ने छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और गुजरात के एससी एसटी समाज से 71 संतो को Mahamandleshwar की उपाधि देने का फैसला किया है। महामंडलेश्वर बनने के लिए इन संतो को कई नियमों का पालन करना पड़ेगा और ये संत वे होंगे जिन्होंने कुछ वर्ष पहले अखाड़े से संन्यास लिया था।
देश के मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े के नाम
- श्री पंचायती अखाड़ा– दारागंज प्रयाग
- श्री पंच अटल अखाड़ा– चैक हनुमान, वाराणसी
- श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी
- श्री पंच दशनाम पंच अग्रि अखाडा- गिरिनगर भवनाथ, जूनागढ़
- श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी – दारागंज, प्रयाग
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े के नाम
- श्री दिगंबर अनी अखाड़ा – शामलाजी खाक चौक मंदिर, सांभर कांथा में स्थित
- श्री पंच नमोही अनी अखाड़ा – वृंदावन, मथुरा में स्थित
- श्री निर्वानी आनी अखाडा– हनुमानगढ़ी ,अयोध्या में स्थित
उदासीन संप्रदाय के तीन अखाड़े के नाम
- श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा– कृष्णा नगर, कीडगंज प्रयाग में स्थित
- श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा – कनखल, हरिद्वार में स्थित
- श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन – कनखल, हरिद्वार में स्थित।
Mahamandleshwar बनने के लिए जरूरी योग्यता क्या होनी चाहिए
- सबसे पहले, उस व्यक्ति को सनातन धर्म में रुचि होनी चाहिए।
- जमीन जायदाद और खुद का आश्रम होना चाहिए।
- लोगों के बीच जान पहचान और खुद की गौशाला होनी चाहिए।
अखाड़े में कौन-कौन लोग होते हैं और उनकी क्या भूमिका होती है
- संन्यासी की भूमिका– मंदिर के पूजा की व्यवस्था देखना
- सचिव की भूमिका– खाने पीने से लेकर अर्थव्यवस्था, अखाड़े के सभी कामकाज को देखना।
- कोतवाल की भूमिका– दूसरे अखाड़े के साथ अच्छे संबंध बनाना।
2025 के महाकुंभ में गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड से कितने लोगों को Mahamandleshwar की उपाधि दी जाएगी
अगले वर्ष जनवरी और फरवरी में होने वाले महाकुंभ में गुजरात से 15, महाराष्ट्र से 12, छत्तीसगढ़ से 12 ,उड़ीसा से 7 SC/ST समाज के संतो को महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाएगी। इसके तहत 13 अखाड़ों के संत , महंत और समाज के लोग उनका स्वागत करेंगे। इससे पहले वर्ष 2018 और 2021 में भी SC समाज के संतो को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी।
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