Astrology : जानें, आजाद भारत की कहानी, ग्रहों की जुबानी

भारत की आजादी में ग्रहों ने अपनी महती भूमिका निभायी थी। भारत की आजादी में ग्रहों की क्या भूमिका रही, इस बात की जानकारी आम लोगों को नहीं हो पाई। अब जानते हैं।

Written By : बी कृष्णा | Updated on: August 4, 2024 12:52 pm

story of independent India

15 अगस्त को भारत के स्वतंत्र होना जानने से पहले चलते हैं इतिहास के गलियारे में और संक्षेप में जानते हैं, कुछ और ऐसे तथ्य जो आगे चलकर भारत की आज़ादी में सहायक हुए। शनि और गुरु के साथ जब भी सूर्य ने एक खास संवाद कायम किया इस तरह की घटनाएं घटीं। इनके साथ जब जब मंगल जुड़ा स्थिति में उग्र मोड़ आया।

story of independent India जानें तारीखों में 

1 1757 में सतनामियों और सन्यासियों के विद्रोह से इसकी आधारशीला रखी गयी। हालांकि तब इस विद्रोह में भारत की आज़ादी के लिए विद्रोह करना है, ऐसी बात नहीं थी लेकिन इसने विद्रोह के रूप में अपनी बात मनवाने का एक अलग मार्ग दिखाया, जिसपर अंतिम चोट 1857 में पड़ी।

21885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन के बाद से लोकतान्त्रिक तरीकों के माध्यम से संगठित लड़ाई लड़ी जाने की शुरुआत हुई|

3 – 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने खुलकर आवाज़ उठानी शुरू कर दी। बंगाल विभाजन के बाद पूरे देश में राष्ट्रीय चेतना जगी।सितम्बर माह में मंगल, गुरु, शनि के साथ राहु और सूर्य शामिल हुआ तो बंगाल से निकलकर स्वदेशी आंदोलन पंजाब, महाराष्ट्र और अन्य क्षेत्रों तक पहुंचा। मुस्लिम लीग की स्थापना से कम्यूनल कार्ड खेलने की शुरुआत हुई।

4 – 1915 में फिर से मंगल, शनि, गुरु और सूर्य का सम्बन्ध बना। हिन्दू महासभा की स्थापना हुई।

5 – 1917 में इधर मंगल, शनि, गुरु और सूर्य का सम्बन्ध बना और उधर चम्पारण से महात्माा गांधी  ने एक और आंदोलन की शुरुआत की।

6 – 1919 में मंगल और शनि का आपसी दृष्टि सम्बन्ध बना। जलियांवाला कांड के बाद असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई। पहली बार देश भर में विदेशी शासन के खिलाफ सुनियोजित आंदोलन की शुरुआत हुई।

7 – 1922 में फिर से मंगल, शनि, गुरु और सूर्य का सम्बन्ध बना। चौरी चौरा हिंसा को देखते हुए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह आदि ने आज़ादी की लड़ाई की आग को तेज किये रखा।

8 – 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।

9 – 1942 में मंगल, शनि, गुरु का सम्बन्ध बना| सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया। इस वर्ष के आते- आते आज़ादी के दीवाने अपने- अपने तरीके से आज़ादी के लिए व्यूह रचना करने लगे। ब्रितानिआ हुकूमत के खिलाफ अपने गुस्से का इज़हार करने लगे। मेष राशि में कृतिका नक्षत्र में मंगल और शनि के आते ही भारतीय जनमानस का विरोध तूल पकड़ने लगा। इसी समय देश की आज़ादी के साथ- साथ ही देश के बंटवारे का मसला भी चलना प्रारम्भ हो गया। अलग अलग धड़े बनने लगे और हर धड़े की अलग अलग सोच और कार्यशैली रही|

1947 की शुरुआत हुई और शनि, गुरु और मंगल ने भी अपनी चाल बदली|राहु वृषभ राशि में था जब ब्रिटिश हुकूमत ने भारत को आज़ाद करने का निर्णय लिया।

story of independent India में अब सवाल यह कि जब पाकिस्तान ने 14 अगस्त 1947 को आज़ाद होना स्वीकार कर लिया तो भारत ने क्यों 15 अगस्त के आधी रात का समय चुना ?

इसका जवाब है उस समय के दो प्रख्यात ज्योतिषविद श्री सूर्यनारायण व्यास जी और पंडित हरदेव शर्मा त्रिवेदी जी के पास है। Sir Woodrow Wyatt ने 1988 में अपने आलेख “Who Does Not Consult Stars” में इस बात की चर्चा की। सर Woodrow Wyatt ने अपने आलेख में इसकी चर्चा करते हुए लिखा है कि जब इन दोनों को, भारत वर्ष को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी दिए जाने की खबर मिली तो इन लोगों ने डॉ राजेंद्र प्रसाद से कहा कि यह दिन ज्योतिष के हिसाब से सही नहीं है| जब इन्हें बताया गया कि ब्रिटिश हुकूमत 15 तारीख से आगे दिन को नहीं बढ़ा सकती है तब उन्होंने आधी रात का मुहूर्त निकाला।

इस समय मुहूर्त निकाले जाने के पीछे ये कारण रहे:

1 – इस समय चन्द्रमा का प्रवेश मुहूर्त के लिए अत्युत्तम माने जाने वाला देव नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र में होगा।

2– अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

3– स्थिर राशि, वृषभ राशि जिसे रामचरितमानस में धर्म राशि कहा गया है, लग्न में उदित हो रहा होगा|

4 – इन तीन बातों के अलावा इस समय बननेवाली कुंडली में दशम भाव पर गुरु का प्रभाव एक ऐसे योग की निर्माण करेंगे जो यह सुनिश्चित करेगा कि भारत अपने ज्ञान के माध्यम से विश्व को जोड़ने वाला बनेगा ।

देश के स्वतंत्र होने में ज्योतिषीय मुहूर्त की अहम् भूमिका रही। इतने वर्षों से शनि, गुरु, मंगल और सूर्य जिस क्षण की तैयारी में लगे थे उसकी पूर्णता अभिजीत मुहूर्त में हुई ।

बी कृष्णा (ज्योतिषीयोग और आध्यात्मिक चिंतक )

 

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