Fertilizer की किल्लत और कालाबाजारी से बिहार के किसान परेशान : अभयानंद

बिहार सामाजिक अंकेक्षण की ओर से रविवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा गया कि बिहार के किसानों को निर्धारित से अधिक कीमत पर उर्वरक (Fertilizer) खरीदना पड़ रहा है।

Written By : दिलीप कुमार ओझा | Updated on: September 16, 2024 8:32 am

Fertilizer

यूरिया के 25 किलोग्राम के बैग की अधिकतम कीमत ₹ 266.50 है जबकि किसान इसे ₹ 290 से 325 रुपए में खरीदने को मजबूर हैं।

राष्ट्रीय औसत से ज्यादा कीमत : 

संवाददाता सम्मेलन में बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद (Abhyanand) ने कहा कि बिहार में यूरिया की खपत सरकारी कागजों में अंकित राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। राष्ट्रीय औसत यदि 141.2 kg प्रति हेक्टेयर है तो बिहार में 225 किलो प्रति हेक्टेयर का आंकड़ा दिखाया जा रहा है।

बिहार में हिन्दुस्तान का 3% खेती योग्य जमीन है जबकि फर्टिलाइजर्स सब्सिडी (Fertilizers subsidy) का यह लगभग 12% खपत करता है। बिहार के किसानों को यूरिया और डीएपी कभी भी उचित दर पर और सही समय पर नहीं मिलती है।

काग़ज़ पर बिहार के किसान राष्ट्रीय औसत से लगभग 50 प्रतिशत ज्यादा खाद प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करते हैं। बिहार में खपत प्रति हेक्टेयर काग़ज़ पर लगभग 249 किलो है जो राष्ट्रीय औसत यानी 199 किलो प्रति हेक्टेयर से 50 किलो अधिक है। सवाल यह कि काग़ज़ पर दिखाई जा रही खपत वाली खाद (Fertilizer) जा कहां रही है ? देखा गया है कि बिहार के बॉर्डर वाले जिलों से खाद (Fertilizer) की तस्करी हो रही है।

बॉर्डर वाले जिलों में खाद का आवंटन मांग से करीब 100 से 110 % तक है , जबकि राज्य की औसत मांग लगभग 84% ही है। इस मसले को लेकर अनेक एफआईआर हुए पर ये अनवरत रूप से आज भी चल रहा है। अभयानंद ने कहा कि मीडिया के अनेकों कवरेज के बाद भी सरकार इस मसले पर उदासीन दिखती है। खाद(Fertilizer)की गुणवत्ता की जांच भी मानक के अनुसार नहीं हो रही है।

बिहार(Bihar) की जमीन और पानी बेहद उत्तम है परंतु उपज राष्ट्रीय औसत से काफी कम क्यों है ? कुछ को- आपरेटिव को छोड़ दें तो अन्य दुकानों से ही खाद(Fertilizer) ब्लैक होती है। खाद के लिए परेशान किसानों पर लाठीचार्ज एक आम बात है।

नियमों के उल्लंघन की आशंका : 

फर्टिलाइजर एक्ट (Fertilizer Act) के अनुसार खाद (Fertilizer) के वितरण में सरकारी अधिकारियों द्वारा सर्टिफिकेशन में भी भारी अनियमितता की आशंका हैं, इन सारी विषयों पर संबंधित RTI के माध्यम से सूचना एकत्र कर रहे हैं। तदुदपरांत आगे की कार्यवाही करेंगे।

उर्वरकों की हो रही कालाबाजारी : 

बिहार सामाजिक अंकेक्षण की ओर से संजीव श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया कि उर्वरकों की कालाबाजारी(Black marketing) भी जारी है। उर्वरकों की तस्करी कर बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में इसे बेचा जा रहा है। खासकर बिहार के सीमावर्ती इलाकों में आए दिन तस्करी की खबरें मिलती रहती हैं लेकिन राज्य सरकार की ओर से उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने की वजह से यह संकट बरकरार है। पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, किशनगंज, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सुपौल आदि जिलों में खाद पैडलर बड़ी संख्या में सक्रिय हैं। लेकिन सरकार उन पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। जबकि राज्य सरकारों को उर्वरकों की कालाबाजारी और तस्करी रोकने के अतिरिक्त अधिकतम खुदरा मूल्य पर उर्वरकों की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त अधिकार प्रदान किया गया है। राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 तथा उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध तलाशी लेने, माल जब्त करने और दंडात्मक कार्रवाई करने की शक्ति प्रदान की गई है। लेकिन राज्य सरकार अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर रही है।

राज्य सरकार उदासीन : 

संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य सरकार के उदासीन रवैया से बिहार के किसानों के बीच उर्वरक संकट की स्थिति बनी हुई है। यह स्थिति बिहार के किसानों के लिए हितकर नहीं है। कृषि विभाग के अधिकारी और उर्वरक वितरक यूरिया का कृत्रिम संकट पैदा करने के लिए आपस में मिले हुए हैं। उर्वरक पैडलरों को कहीं न कहीं उर्वरक इन्हीं लोगों की मिलीभगत से प्राप्त हो रहा है।

भाड़े को लेकर फंसा पेंच : 

रैक से सेल प्वाइंट तक पहुंचाने के भाड़े को लेकर पेंच फंसा है। यूरिया की बिक्री सरकार के नियंत्रण में होती है। यूरिया का भाव और कमीशन भी केंद्र सरकार तय करती है। कहा कि सरकार की जिम्मेदारी यह भी होनी चाहिए कि सेल प्वाइंट (विक्रय केंद्र) तक मैटेरियल कैसे पहुंचे। लेकिन सरकार रैक प्वाइंट (ट्रेन से जहां माल उतरता है) से विक्रय केंद्र तक का जो भाड़ा देती है वह सिर्फ एक चौथाई होता है। पर फिर भी सरकार चाहती है कि हम उसे एमआरपी(MRP) पर बेचे , किसी भी व्यापारी के लिए ये कैसे संभव है?

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