MP Kangana Ranaut ने भारी विरोध के बाद कृषि कानूनों के बयान पर मांगी माफी

हिमाचल की मंडी सीट से सांसद कंगना रनौत ने कृषि कानूनों की वापसी को लेकर दिए अपने बयान पर बुधवार को वीडियो संदेश के जरिए माफी मांग ली है। सोमवार को बयान आने के बाद बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के मध्य नजर इनके बयान से किनारा कर लिया। कंगना रनौत इससे पहले भी दो बार किसान आंदोलन को लेकर विवादास्पद टिप्पणियां कर चुकी हैं।

Written By : सुनील कुमार साहू | Updated on: September 25, 2024 10:18 pm

हिमाचल की मंडी सीट से MP Kangana Ranaut ने कृषि कानूनों की वापसी को लेकर दिए अपने बयान पर बुधवार को वीडियो संदेश के जरिए माफी मांग ली। यह माफी केंद्र सरकार द्वारा कंगना के  बयान से किनारा करने के बाद आई। कंगना के इस बयान पर विपक्षी दल – कांग्रेस और अकाली दल ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इससे पहले भी उन्होंने दो बार किसान आंदोलन को लेकर विवादास्पद बयान दिया था।

MP Kangana Ranaut ने अपनी माफी में क्या कहा

सांसद ने अपने बयान में कहां की अगर किसी को उनके बयान से ठेस पहुंची हो तो व उनसे माफी मांगती हैं और आगे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरिमा को बनाए रखने का वादा किया।

कंगना रनौत ने माफी में यह कहा

23 सितंबर को कंगना ने  कृषि कानूनों को लेकर क्या बयान दिया था

हिमाचल में एक कार्यक्रम के दौरान सोमवार को Mp kangana Ranaut  ने तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की वकालत की थी। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान इन कानूनों को किसानों के लिए फायदेमंद बताया। इसके अलावा कंगना ने आपत्ति जताने वाली राज्य सरकारों से हाथ जोड़कर  आग्रह किया  कि वे इन कानूनों को फिर से लाने पर विचार करें।

सांसद द्वारा किसान आंदोलन पर दिए गए विवादास्पद बयान

  •  महिला किसान पर टिप्पणी- किसान आंदोलन के दौरान 27 नवंबर 2020 को कंगना ने सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन में बैठी एक बुजुर्ग महिला को 100 रुपये  में बिकने वाली बताया। बाद में उन्होंने यह पोस्ट डिलीट कर दी थी, लेकिन तब तक वह काफी वायरल हो चुकी थी।
  •  किसान आंदोलन में रेप और मर्डर के आरोप– अगस्त 2024 में दिए गए एक इंटरव्यू में कंगना ने   किसान आंदोलन को उपद्रवी  हिंसा का रूप बताया। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारी पंजाब को बांग्लादेश बनाना चाहते थे और हर तरफ अस्थिरता फैलाने की कोशिश में थे।

कृषि कानून कब लाए गए थे

केंद्र सरकार ने 5 जून 2020 को एक अध्यादेश के जरिए अगस्त में संसद सेशन के दौरान  लोकसभा और राज्यसभा में तीन कृषि कानून का मसौदा पेश किया । मसौदा दोनों सदनों से पास हो गया था और कानून के रूप में सबके सामने आया। लेकिन किसानों को यह बिल मंजूर नहीं थे।

कितने दिन चला आंदोलन

केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस न लेने को लेकर  पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसानों ने 26 नवंबर 2020 को दिल्ली कूच किया। यहां इनके ऊपर पानी की बौछारे, टियर गैस और लाठियां चलाई गई। लेकिन किसान अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए और करीब 1 साल बाद  19 नवंबर 2021 को टीवी पर आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया।

किसानों को तीन कृषि कानूनों से क्या थी दिक्कत

  •  अगस्त 2020 में तीन कृषि कानूनों के पास होने के बाद किसानों को आशंका हुई की नए बिल से  मंडियां पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
  •  किसानों को अपने ही खेत पर मजदूर की तरह काम करना पड़ेगा।
  •  इन कानून का असली फायदा बड़े-बड़े उद्योगपति उठाएंगे और उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।

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