राम जन्म: अयोध्या में राजा दशरथ के महल में राम का जन्म हुआ। यह उत्सव आनंद और उल्लास से भरा हुआ था। राम चरित मानस में वर्णित राम कथा में इस तरह से कहा गया है।
दोहा:
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।
अर्थ: प्रभु श्रीराम का जन्म कौशल्या के गर्भ से हुआ। उनका रूप और लीला देखकर सभी देवता और मुनि आनंदित हो गये।
वनवास और निषादराज मित्रता: रामजी ने माँ कैकेयी के वचन को हर्षित होकर स्वीकार किया और 14 वर्ष वन में रहे। वन में रामजी और निषादराज की मित्रता हुई।
दोहा:
“रघुकुल रीति सदा चलि आई।
प्राण जाई पर वचन न जाई।”
अर्थ: रघुकुल की यह परंपरा रही है कि अपने वचन को निभाने के लिए वे प्राण भी दे देते हैं।
केवट प्रसंग: वन जाते समय श्रीराम को गंगा पार करने के लिए केवट ने सेवा का अवसर मांगा।
दोहा:
“मनु जाहि राचेउ मिलहि सो वरु सहज सुगम जोहि जानहि।
जौं पै अमिअ भुअंग चखि ताहि पुनि नाग न भय मानहि।”
अर्थ: रामचरणामृत को पाकर केवट का जीवन धन्य हो गया, और उसे पुनः किसी भय का अनुभव नहीं हुआ।
सीता हरण और जटायु वध: रावण ने बदला लेने के लिए छल से माँ सीता का हरण किया तब मार्ग में जटायु ने उन्हें बचाने का प्रयास किया।
दोहा:
“धरम सदा सग पग न चले।
रहति अनित सब स्वप्न सम अले।”
अर्थ: धर्म की रक्षा के लिए जटायु ने प्राण दिए, जिससे यह शिक्षा मिलती है कि सत्य और धर्म की राह पर संघर्ष आवश्यक है।
राम और हनुमान मिलन: हनुमान जी ने भगवान राम की सेवा का संकल्प लिया।
दोहा:
“प्रभु भंजन संकट खल बन पावक ग्यान।
राम कृपा ते हनुमंत बल बुद्धि विद्यान।”
अर्थ: हनुमान जी ने राम की कृपा से शक्ति, ज्ञान और भक्ति प्राप्त की।
लंका विजय: श्रीराम और उनकी सेना ने रावण पर विजय प्राप्त की।
दोहा:
“राम नाम मन दीरघ रोगा।
हरि हर गुन गह बिपुल सुभ भोगा।”
अर्थ: भगवान राम का नाम ही बहुत सुन्दर है जो मन के रोगों को समाप्त कर देता है और विजय की ओर ले जाता है।
रामराज्य स्थापना: अयोध्या लौटने के बाद रामराज्य की स्थापना हुई, जहाँ धर्म, शांति और समृद्धि का वास था।
दोहा:
“दैहिक दैविक भौतिक तापा।
रामराज नहिं काहुहि ब्यापा।”
अर्थ: रामराज्य में कोई भी शारीरिक, आध्यात्मिक या भौतिक दुःख नहीं था।
भगवान राम की यह कथा हमें सिखाती है कि धर्म, सत्य, और कर्तव्य का पालन ही जीवन का सही उद्देश्य है।

(मृदुला दुबे योग शिक्षक और आध्यात्मिक गुरु हैं।)
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