नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान के उस आरोप को सख्ती से खारिज कर दिया है जिसमें नई दिल्ली पर बलूचिस्तान में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था। पाकिस्तान के इस बयान के जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है। पाकिस्तान को दूसरों पर आरोप लगाने के बजाय खुद पर ध्यान देना चाहिए।”
क्या है मामला?
बलूचिस्तान में जारी अशांति के बीच हाल ही में एक बड़ा हमला हुआ, जिसमें बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के उग्रवादियों ने क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर हमला कर दिया। यह घेराबंदी करीब 30 घंटे तक चली, जिसमें 21 यात्रियों और 4 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई।
इस घटना के बाद, पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों ने आरोप लगाया कि इस हमले की योजना विदेश में बैठे गुटों द्वारा बनाई गई थी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि हमलावरों के संपर्क अफगानिस्तान में स्थित उनके संचालकों से थे, लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया।
पाकिस्तान ने भारत पर क्यों लगाया आरोप?
जब पाकिस्तानी प्रवक्ता से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान ने पहले की तरह भारत को दोष देने की नीति बदली है, तो उन्होंने जवाब दिया कि भारत पर उनके आरोप आज भी बरकरार हैं। उन्होंने कहा, “इस घटना में हमारे पास कॉल रिकॉर्ड्स हैं जो अफगानिस्तान से जुड़े हुए हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत की संलिप्तता पर हमारा रुख बदला है।”
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने पाकिस्तान के इन आरोपों को “बेबुनियाद और हास्यास्पद” बताते हुए सख्ती से नकार दिया। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया:
“हम पाकिस्तान द्वारा लगाए गए निराधार आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है। पाकिस्तान को अपनी आंतरिक असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देने के बजाय खुद पर ध्यान देना चाहिए।”
बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा और असंतोष
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और संसाधनों से भरपूर प्रांत है, लेकिन यहां 1950 के दशक से ही अलगाववादी आंदोलन चल रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान संकट के लिए भारत को दोष देना उसकी विफलताओं को छिपाने की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। भारत ने साफ कर दिया है कि बलूचिस्तान में जो हो रहा है, वह पाकिस्तान की अपनी नीतियों का परिणाम है और वह अपनी नाकामियों को दूसरों पर नहीं थोप सकता।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस मुद्दे को आगे कैसे उठाता है और भारत की प्रतिक्रिया किस दिशा में जाती है।
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