पटना में डॉ शंकर प्रसाद के ग़ज़ल-संग्रह ‘नीले आकाश का सरगम’ का हुआ लोकार्पण

डा शंकर प्रसाद एक बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी साहित्यकार हैं। कला, संगीत और साहित्य के साथ शिक्षा जगत की भी बड़ी सेवा के लिए सुख्यात श्री प्रसाद की ग़ज़लें पाठकों से सीधी वार्ता करती हैं। कविता और ग़ज़ल समाज को प्रभावित करती हैं। कविता को मनुष्यता की जननी माना जाता है।

Written By : डेस्क | Updated on: June 8, 2025 11:21 pm

यह बातें रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में वरिष्ठ गजलगो डॉ शंकर प्रसाद के ग़ज़ल-संग्रह ‘नीले आकाश का सरगम’ का लोकार्पण करते हुए, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने कही। उन्होंने कहा कि डा शंकर जिन्हें एक लोक-गायक के रूप में लोकप्रियता प्राप्त थी, साहित्य की सेवा में भी अपना यश अर्जित करने में सफल होंगे।

समारोह के मुख्य अतिथि और बिहार विधान परिषद के माननीय सदस्य डा नवल किशोर यादव ने कहा कि साहित्य समाज को गहरे स्तर तक प्रभावित करता है। डा शंकर ने अपनी ग़ज़लों से पाठकों को आकर्षित किया है। मेरा विश्वास है कि इनका साहित्यिक-जीवन भी सफल होगा ।

नीले आकाश का सरगम के लोकार्पण के अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्गार में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि डा शंकर मौलिक रूप से प्रेम और ऋंगार के कवि-गजलगो हैं, किंतु मानव मन की समस्त आकांक्षाओं को स्वर देती हैं इनकी ग़ज़लें । जीवन के विविध मोड़ों, कँटीले-पत्थरीले, उआतार-चढ़ाओं से युक्त अनेकानेक मार्गों से गुजरते, संघर्षों से उलझते शंकर ने अपने जीवन और रचनाओं को गढ़ा है। इसीलिए इनकी रचनाओं में वे सभी संघर्ष और उसे जीतने की महान आकांक्षा भी लक्षित होती है।

पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत कुमार, बिहार के पूर्व सचिव ओम् प्रकाश यादव, मनीष कुमार सिन्हा, उमेश कुमार पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए तथा कवि को शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर शायरा शमा कौसर ‘शमा’, वयंग्य के कवि ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, पंकज कुमार वसंत, सुनील कुमार दूबे (साहित्य सेवा), ईं भूपेश कुमार, ईं जय कुमार (शिक्षा), अमर ज्योति, हरि किशोर सिंह ‘मुन्ना’, उमेश पाण्डेय (कला), दया शंकर राज पुरोहित, उमेश कुमार अंशुल, प्रेम कुमार, अजय कुमार यादव, अरुण दयाल, राकेश यादव, अजय कुमार झा, सुरेंद्र कुमार, राकेश कुमार पटेल, रोहित कुमार, रविनेश कुमार, रतन राय, बिहारी भैया तथा आलोक कुमार ( सभी समाज सेवा) समेत अतिथियों को सम्मानित किया गया।

स्मृति-दिवस पर, मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, कवि और कथाकार मेजर बलबीर सिंह ‘भसीन’ को भी श्रद्धापुवक स्मरण किया गया और उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी।

इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन में वरिष्ठ कवि डा रत्नेश्वर सिंह, डा पुष्पा जमुआर, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा अर्चना त्रिपाठी, मीरा श्रीवास्तव, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, शुभ चंद्र सिन्हा, डा अनिल कुमार शर्मा, ई अशोक कुमार, सुनील कुमार, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘बदनाम’,सिद्धेश्वर, ईं आनन्द किशोर मिश्र, मृत्युंजय गोविंद, प्रेरणा प्रिया, राज आनन्द आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का सुमधुर पाठ कर समारोह को काव्य-मय पूर्णता प्रदान की। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

सम्मेलन के अर्थ मंत्री प्रो सुशील कुमार झा, इन्दु भूषण सहाय, उत्पल्ल कुमार, निर्मला सिंह, आनन्द आशीष, अर्ची आनन्द, भास्कर त्रिपाठी, अश्विनी कविराज आदि बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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