सूत्रों के मुताबिक भारतीय टीम और बीसीसीआई ने पहले ही तय कर लिया था कि वे नक़वी से हाथ नहीं मिलाएंगे और न ही उनके हाथ से ट्रॉफी स्वीकार करेंगे। बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने कहा कि “भारत की यह जीत देशवासियों को समर्पित है, और हम इसे किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ से ग्रहण नहीं कर सकते जो पाकिस्तान की सियासत का चेहरा हो।”
इस फैसले के चलते ट्रॉफी प्रस्तुति समारोह करीब आधे घंटे से अधिक देर तक टल गया। अंततः जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो ट्रॉफी को मंच से हटा लिया गया और खिलाड़ियों को सिर्फ व्यक्तिगत पुरस्कार दिए गए। भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने नाराजगी जताते हुए कहा—“हमने खिताब जीता, लेकिन ट्रॉफी लेने का मौका हमसे छीन लिया गया। यह क्रिकेट के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।”
विवाद तब और बढ़ा जब नक़वी ट्रॉफी और मेडल्स को स्टेडियम से बाहर लेकर अपने होटल चले गए। बीसीसीआई ने इसे “अनैतिक और अस्वीकार्य” बताते हुए एशियन क्रिकेट काउंसिल और आईसीसी से औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के संकेत दिए हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया राजनीतिक तनाव ने पूरे टूर्नामेंट पर असर डाला। मैचों के दौरान खिलाड़ियों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाने से परहेज़ किया। इसके अलावा, नक़वी के कुछ विवादित बयानों और सोशल मीडिया गतिविधियों ने भारतीय खेमे को और असहज कर दिया था।
यह पहला मौका है जब किसी विजेता टीम को टूर्नामेंट की ट्रॉफी आधिकारिक रूप से प्रदान नहीं की गई। यह घटना अब सिर्फ खेल नहीं, बल्कि खेल कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी हिस्सा बनेगा।
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