देश के एक बहुत ही ऐतिहासिक पर पिछड़ा क्षेत्र झारखंड के चतरा जिले से संबंध रखने वाली अनिता की कहानियों में इस क्षेत्र के जनजीवन जीवनशैली एवं कठिनाइयों की बहुत रोचक झलक मिलती है. अनिता के अधिकांश पात्र बहुत निर्मल, सज्जन एवं उजास भरे होते हैं. उनको शहरी छलावे वाली संस्कृति ने पूरी तरह डंसा नही है. और चरित्र पहाड़ी नदियों सा पारदर्शी और निश्छल होता है. अनिता ने कुछ अन्य समकालीन विषयों को भी संग्रह में जगह दी है.
संग्रह की अंतिम कहानी “कितनी उपेक्षा ” एक महत्वाकांक्षी माँ की कहानी है जिसे एक सुखमय आर्थिक स्थिति के बाद भी और कमाने की ललक है सोसाइटी में अपना संपर्क और रसूख बढ़ाने के लिए रोज़ पार्टीयों में शाम गुजारती हैं. इधर उनके पति की और उनकी व्यस्त ज़िंदगी के कारण उनकी टीनएजर बेटी घर के विश्वासपात्र नौकर के द्वारा यौन शोषण का शिकार होती है .
बेटी के बार बार ज़िद के बाद भी गृहणी बाहर चली जाती है. महत्वपूर्ण है उस महिला के बॉस ने बच्ची के चिढ़े हुए व्यवहार को भांप लिया और अगले दिन इस महिला को नौकरी छोड़कर बच्चों की ओर ध्यान देने की सलाह दी. तब जाकर इस महिला के मन में अच्छी बुरी बातें आने लगती हैं.और वह जल्दी से अपनी बेटी के पास घर पहुंच जाना चाहती है .
संग्रह की सभी कहानियां आधुनिक समय में गांव, कस्बों और महानगरों में पसरी पीड़ा, दुर्व्यवस्था,आपसी मानवीय संबंध की जटिलता और शोषण की कहानियां हैं. इस संग्रह की कहानियों के नाम देखें 1.यह जो ज़िंदगी है2.उजड़ते नीड 3.चिड़िया, पतंग और अंकु 4. जलकुंभी 5.सिसकियां, फूल, किलकारी 6.सरई फूल 7.बहुत लम्बी लड़ाई 8. सहिया नीलकंठ 9.गौरैया 10. गान्ही बाबा का चेला 11.चश्मेवाली दो गहरी आंखें 12.विरोधाभास 13. फागुनी 14. महादान और 15.कितनी उपेक्षा . दो सौ छह पृष्ठ के इस कथा संग्रह को देखकर ही अनुमान किया जा सकता है कि अनिता किस प्रकार स्थानीय देशज भाषा के शब्दों को अपनी कहानी में उपयोग कर हिंदी को समृद्ध कर रही हैं .इनकी कहानी स्थानीय झारखंड के निवासियों के जल जंगल जमीन की मानवीय समस्याओं को भी सामने रखती है.
कथाकार की भाषा समृद्ध है, अनुभव का फलक विस्तारित है एवं देशज, तत्सम और तद्भव शब्दों का खुले दिल से उपयोग किया गया . इन चुनी कहानियों में अनिता अपने सात प्रकाशित संग्रहों में से पांच और कहानियां शामिल कर लेतीं तो पाठकगण प्रायः और आनंदित होते! संग्रह अति रोचक, पठनीय और संग्रहणीय है. आप इसे अपने मित्रों को भी पढ़वाना चाह सकते हैं !
संग्रह: मेरी प्रिय कहानियां , कथाकार: अनिता रश्मि
,पृष्ठ : 206 प्रकाशक:New World Publication
प्रकाशन वर्ष :2025 मूल्य: रु.399
(प्रमोद कुमार झा तीन दशक से अधिक समय तक आकाशवाणी और दूरदर्शन के वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे. एक चर्चित अनुवादक और हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली के लेखक, आलोचक और कला-संस्कृति-साहित्य पर स्तंभकार हैं।)
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