किताब का हिसाब : पढ़ें, पल्लवी गर्ग की कविताएं ‘मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कुराते हो तुम’ में

आज की पुस्तक चर्चा में चर्चित कवयित्री पल्लवी गर्ग की हाल में प्रकाशित कविता संग्रह "मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कुराते हो तुम". शिक्षा,संगीत और साहित्य से पिछले दो दशकों से जुड़ी पल्लवी एक कुशल मंच संचालक भी हैं. पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन के साथ साथ कानपुर निवासी पल्लवी अपनी कविताओं का बहुत सुंदर पाठ भी करती हैं

Written By : प्रमोद कुमार झा | Updated on: November 6, 2024 5:09 pm

Book review : पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन के साथ साथ कानपुर निवासी पल्लवी अपनी कविताओं का बहुत सुंदर पाठ भी करती हैं. कवि, कथाकार, उपन्यासकार राजेन्द्र दानी इस संग्रह की भूमिका में लिखते हैँ “……संबंधों में हो गयी दरार को यहां जोड़ने का प्रबंध नहीं है बल्कि उसे समाप्त करने के लिए एक ऐसे सौंदर्य को सृजित किया गया है जो उसका नामों निशान मिटा देगी.

कविता में यह प्रविधि अनोखी है और पाठक को एक मुस्कान युक्त स्तब्धता दे देती है. ………पल्लवी का कविता संसार ऐसे सी अनोखे शब्दों और घटनाओं से भरा-पूरा है……” ‘मेरे शब्दों में……’ संग्रह में छोटी छोटी नब्बे कविताएं हैं. सभी कविताओं में एक नए अंदाज में बातें कही गयी हैं.

कुछ कविताओं के शीर्षक देखिये: अनाम रिश्ता, विछोह, नज्म , प्रेम की नाव, ख़ालिस खुशबू, मेरे रंग विरंगे पंख, काला गुलाब, हम -तुम, तेरहवीं, हीरा बनाम काँच, गली, कूचे और मकान,तीन डॉट, गंगा किनारे, फाग, छुई-मुई, वक्त के घाव, बासंती प्रेम,तथागत कान्हा-1,कान्हा-2, प्रथम स्पंदन,रफूगर, सज़ा और मैं तुमसे बार -बार मिलूँगी.

सभी शीर्षक को देखेंगे तो लगेगा तो दिखाई देगा कि जीवन के सभी क्षेत्रों को कविता का विषय बनाया है . पल्लवी पुस्तक के समर्पण में लिखती हैं : “.समर्पित उन सबको जिनका प्रेम व स्नेह मुझे पल्लवित करता है!”

Book review

देखिये कविता : तीन डॉट …..……. “जीवन की दोपहत के आरंभ में ही /तुमने अंधकार फैला दिया / ब्रह्मांड के नियम बदलकर / सांझ का सूरज दोपहर में डूबा/ तुमने मेरा जीवन तीन डॉट से अंतहीन बना दिया…….।” मन के भाव को नई उपमाओं से अभिव्यक्त करती हैं पल्लवी. पल्लवी के प्रेम कविताएं गुदगुदाती हैं ,प्यारी लगती हैं .कविता “कान्हा:एक”की इन पंक्तियों को देखिए : ‘ इधर यमुना का/पानी थोड़ा खारा हो चला है/हर बार केश धोती हूँ /तुम्हारे स्वेद का कुछ अंश मिल जाता है उसमें ……………………………तुम्हारा तो बहुत कुछ छूट गया था मेरे पास/ तुम्हारे पास मेरा क्या है कान्हा?’

प्रेम और राग की ऐसी छू जाने वाली कविताएं आपने कम ही पढ़ी होंगी. पल्लवी की कविताएं मनोभाव की कविताएं हैं, शब्दों के जाल के नहीं! कवयित्री ने सायास तत्सम और तद्भव शब्दों का आयात नहीं किया है अपनी कविताओं में .इनकी कविताएं आपको महसूस करवा जाती हैं, संवेदनशील कर जाती हैं.

संग्रह को पढ़ते हुए एक आध जगह प्रूफ देखने में हुई असावधानी नज़र आयी. संग्रह बुक शेल्फ पर रखी जाने योग्य तो बिल्कुल ही है.

प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, मूल्य- रु 225.

प्रकाशन वर्ष: 2024

 

(प्रमोद कुमार झा तीन दशक से अधिक समय तक आकाशवाणी और दूरदर्शन के वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे. एक चर्चित अनुवादक और हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली के लेखक, आलोचक और कला-संस्कृति-साहित्य पर स्तंभकार हैं।)

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