विडंबना है कि जो यमुना दिल्ली में अपनी यात्री का दो प्रतिशत से भी कम मार्ग तय करती है, उसके प्रदूषण में दिल्ली का योगदान 98 प्रतिशत है। आज यमुना नदी (Yamuna River)की स्थिति यह है कि जो कभी जीवनदायिनी थी, अब सांस भी नहीं ले पा रही है।
कभी भारत की राजधानी की जीवनरेखा कही जाने वाली यह नदी आज दिल्ली में उपेक्षा और प्रदूषण(Pollution)की वजह से खुद जीवन के लिए तरस रही है। लेकिन उम्मीद अभी भी खत्म नहीं हुई है, क्योंकि दिल्ली के लोग आगे आ रहे हैं।
‘Bring Alive Yamuna’
1 अक्टूबर, 2024, मंगलवार को 500 से ज़्यादा एनसीसी कैडेट, एनसीसी अधिकारी(NCC officer) और नागरिकों ने यमुना(Yamuna) के पुनरुद्धार को लेकर जागरूकता बढ़ाने और उस दिशा में कार्य करने को प्रेरित करने के लिए एक वॉकथॉन(Walkathon) का आयोजन किया। ‘Bring Alive Yamuna’ (यमुना को जीवंत करो) के उद्घोष के साथ यह पहल सामूहिक जिम्मेदारी और उम्मीद का एक प्रभावशाली बयान है, जो नदी की सेहत को बहाल करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी झंडी दिखाकर रवाना किया
इस वॉकथॉन(Walkathon) को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने झंडी दिखाकर आईजीएनसीए से रवाना किया। यह वॉकथॉन कनॉट प्लेस के चरखा म्यूजियम पार्क में समाप्त हुआ, जहां सभी सहभागियों ने यमुना Yamuna) को बचाने की शपथ ली। पदयात्रा के दौरान एनसीसी के कैडेट और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने ‘नुक्कड़ नाटक’ किया, जिसके जरिये यमुना(Yamuna) की दुर्दशा और दीर्घकालिक कार्यों के महत्त्व के बारे में बताया गया। साथ ही, पर्चों का भी वितरण किया गया, जिसमें लोगों से समाधान का हिस्सा बनने का आग्रह किया गया, चाहे वह प्रदूषण को रोकना हो या पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार को प्रोत्साहित करना हो। इसका वॉकथॉन का उद्देश्य यह बताना था कि अगर हम पहला कदम उठाते हैं तो नदी फिर से साफ होकर अपनी पूरी रौ में प्रवाहित हो सकती है।


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