इस अवसर पर तीज बाजार भी लगाया गया, जिसमें विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प तथा पारम्परिक वस्त्र उपलब्ध थे। इसके अलावा, आईजीएनसीए(IGNCA) की महिला कर्मचारियों के लिए एक मेहंदी स्टॉल भी लगाया गया था। वार्षिकोत्सव पर एक विशेष व्याख्यान का भी आयोजन किया गया। व्याख्यान की मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के मानव विज्ञान की पूर्व विभागाध्यक्ष शालिना मेहता थीं। कार्यक्रम में चार पुस्तकों और चार फिल्मों का लोकार्पण भी किया गया।
इस आयोजन में आईजीएनसीए(IGNCA) के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय, सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, शिक्षाविद्, कहानीकार एवं लेखिका श्रीमती मालविका जोशी, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, इग्नू की निदेशक प्रो. सुहास शेटगोवेकर और जनपद सम्पदा के विभागाध्यक्ष प्रो. के. अनिल कुमार की गरिमामय उपस्थिति रही।
मुख्य वक्ता प्रो. शालिना मेहता ने कहा कि आज पर्यावरण के संदर्भ में ‘इको स्प्रिचुआलिटी’ शब्द बहुत सुनने को मिल रहा है। कहा जा रहा है कि हमें प्रकृति को आत्मसात करना चाहिए। लेकिन भारतीय संस्कृति में प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित कर रहने की अवधारणा प्राचीन काल से है। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि हमने अपने प्राचीन ग्रंथों को महत्त्व नहीं दिया और पश्चिम का अनुसरण करते रहे। उन्होंने शुक्लयजुर्वेद से एक मंत्र उद्धृत करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति मं यह माना गया है कि हमें प्रकृति को नहीं छेड़ना है, प्रकृति को नष्ट नहीं करना है।
श्रीमती मालविका जोशी ने झूला गीत सुनाया
श्रीमती मालविका जोशी ने जनपद सम्पदा के वार्षिकोत्सव पर हरियाली तीज(Hariyali Teej) के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए झूला गीत- “झूला धीरे से झुलाओ बनवारी” सुनाकर श्रोताओं को आनंदित कर दिया। प्रो. सुहास शेटगोवेकर ने कहा कि उत्सव संस्कृति को प्रतिबिम्बित करते हैं। त्योहार छुट्टी का दिन नहीं हैं, इनका महत्त्व बहुत ज्यादा है। उनका वैज्ञानिक महत्त्व है। हमारे उत्सव पर्यावरण-अनुकूल हैं। इनका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व है, ये सामुदायिक भावना को बढ़ाते हैं।
श्री रामबहादुर राय ने क्या कहा
श्री रामबहादुर राय ने अपने सम्बोधन में कहा कि 7 अगस्त को हरियाली तीज(Hariyali Teej) का आयोजन एक ऐतिहासिक अवसर है। इसी दिन 119 वर्ष पहले, 7 अगस्त 1905 को भारत के चार महापुरुष- गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, श्री अरबिंदो और लाला लाजपत राय कोलकाता (तब कलकत्ता) में मिले थे और उसी दिन स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। 7 अगस्त को हरियाली तीज का आयोजन हो रहा है और 7 अगस्त स्वदेशी से जुड़ता है, संस्कृति से जुड़ता है और हमारे स्वाभिमान से जुड़ता है।
कार्यक्रम के दौरान चार पुस्तकों- ‘गुरुद्वाराज ऑफ पंजाब’, ‘पंडनू के कड़े’, ‘एंडेजर्ड टोडा ट्राइबः बफैलो कल्चर एंड लैंग्वेज प्रिजर्वेशन’ एवं ‘उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत’ का लोकार्पण किया गया। साथ ही, चार फिल्मों- ‘साहेब बंदगी’, ‘मानगढ़ वेलर सागा ऑफ भील ट्राइब’, ‘रामलीला ऑफ ओडिशा’ एवं ‘यमुनाः द रिवर ऑफ गॉड्स एंड ह्यूमन’ को भी रिलीज किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. के. अनिल कुमार के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद डॉ. रेम्बेमो ओड्यु ने जनपदा सम्पदा विभाग के कार्यों का विस्तृत लेखा-जोखा
प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए हरियाणा और राजस्थान के लोक कलाकारों को आमंत्रित किया गया था। लोक कलाकारों ने अपने अद्भुत नृत्य और कर्णप्रिय बीन वादन से उपस्थित दर्शकों को आनंदविभोर कर दिया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए हरियाणा के कलाकारों की दो टीमों और तेलंगाना के कलाकारों की एक टीम को आमंत्रित किया गया था। कलाकारों ने अपने अद्भुत प्रदर्शन से उपस्थित दर्शकों को आनंदविभोर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन जनपद सम्पदा विभाग की सुश्री शताब्दी मन्ना ने किया।
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