पर्यावरण संरक्षण की सीख देता हिन्दी सिनेमा (भाग-2)

सन 1999 में निर्देशक महेश मथाई 1984 की भोपाल गैस त्रासदी पर आधारित फिल्म ‘भोपाल एक्सप्रेस’ लेकर आते हैं और इस घटना के दुष्प्रभावों का लोमहर्षक अंकन करते हैं। इसके दो साल बाद सन 2001 में आई आमिर अभिनीत आशुतोष गोवारीकर निर्देशित फिल्म ‘लगान’ में सूखे के कारण लगान न दे पाने की विवशता में किसानों को अंग्रेजों के साथ शर्त लगानी पड़ती है कि वे उनको उनके खेल क्रिकेट में अगर मात दे देते हैं तो उनका लगान माफ कर दिया जाएगा और अनेक नाटकीय पड़ावों के बाद गरीब किसान जीत हासिल करने में सफल रहते हैं, लेकिन इसे पूर्णतः पर्यावरण पर आधारित फिल्म नहीं माना जा सकता।

Written By : प्रो. पुनीत बिसारिया | Updated on: November 5, 2024 2:48 pm

Environmental Protection

2004 में ‘वन नाइट इन भोपाल’ नाम से एक वृत्तचित्र प्रदर्शित हुआ था, जिसमें सन 1984 के भोपाल गैस काण्ड की विभीषिका को दिखाया गया था। इसी साल आई ‘स्वदेस’ फिल्म में प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना विकास की बात की गई थी। 2007 में प्रदर्शित गांधी माई फादर’ फिल्म भी प्रकृति के साथ मनुष्य के प्रेमपूर्ण व्यवहार की चर्चा करती है।

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सन 2009 में आई फिल्म ‘तुम मिले’ सन 2005 में मुंबई मे आई भयानक बाढ़ पर आधारित थी, जिसमें दो बिछुड़े हुए प्रेमी बाढ़ के दौरान जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं। इसके अगले साल प्रदर्शित फिल्म ‘पीपली लाइव’ में सूखे के कारण किसान नत्था सरकारी कर्ज नहीं चुका पाता और जमीन छीने जाने से बचने के लिए उसका भाई उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाता है।

‘दिल्ली सफारी’ सन 2012 में आई एक एनीमेशन फिल्म थी, जिसमें जंगल के जानवर मनुष्यों द्वारा उनके आवासीय जंगलों का विनाश किए जाने पर दुखी होकर संसद की ओर कूच करते हैं और दिल्ली आकर देश के प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाते हुए सवाल करते हैं कि क्यों इंसान दुनिया का सबसे खतरनाक पशु बन गया है? अंत में प्रधानमंत्री पशुओं के रहने के लिए अलग स्थान उपलब्ध करा देते हैं और सभी जानवर खुशी-खुशी उसमें रहने लगते हैं। गोविंदा, अक्षय खन्ना, उर्मिला मातोंडकर, सुनील शेट्टी, प्रेम चोपड़ा, बोमन ईरानी जैसे बड़े कलाकारों द्वारा वॉयस ओवर किए जाने तथा इसका अंग्रेज़ी संस्करण भी बनाने के बावजूद यह फिल्म सफल नहीं हो सकी।

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‘जल’ फिल्म सन 2014 में प्रदर्शित हुई थी, इस फिल्म में कच्छ के रण के सूखे की विभीषिका में पानी की तलाश में आने वाले प्रवासी फ्लेमिंगो पक्षियों के लिए अपने गाँव में जल की व्यवस्था करने की कशमकश करते व्यक्ति बक्का की कहानी कही गई है। पूरब कोहली के शानदार अभिनय से सजी इस फिल्म को ऑस्कर में भारत की ओर से भेजा गया था। इसी साल प्रदर्शित ‘ द टाइगर्स’ फिल्म टाइगर के अंगों की तस्करी की परत दर परत खोलती है और पर्यावरण को स्वच्छ रखने में वन्य जीव संरक्षण की महत्ता को दर्शाती है। वर्ष 2014 में ही ‘द लास्ट डांस’ नामक वृत्तचित्र प्रदर्शित हुआ था, जिसमें चंबल नदी से घड़ियालों के विलुप्त होने के कारण नदी के प्रदूषित होने की चर्चा की गई थी।

2015 में भारत की पहली कार्बन न्यूट्रल फिल्म ‘ये सारा जहाँ’ प्रदर्शित हुई थी, जिसने फिल्मकारों को कार्बन न्यूट्रल प्रदूषण मुक्त फ़िल्में बनाने की प्रेरणा दी थी।

सन 2016 में टाइगर श्रॉफ, केके मेनन और जैकलीन फर्नांडीस अभिनीत फिल्म ‘ए फ्लाइंग जट्ट’ आती है, जिसमें फैक्ट्री के अपशिष्ट के कारण झील के प्रदूषित होने और जंगल को कटने से बचाने के लिए नायक जद्दोजहद करता है। अगले साल सन 2017 मे रिलीज हुई फिल्म ‘कड़वी हवा’ में दर्शाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण किस प्रकार बुन्देलखण्ड में सूखे की समस्या विकराल रूप ले रही है, जबकि ओडिशा के तटीय क्षेत्र अतिवृष्टि से पीड़ित हैं। इसी साल प्रदर्शित फिल्म ‘इरादा’ पंजाब के भटिंडा स्थित थर्मल प्लांट के आसपास बसे गांवों में कैंसर के रोगियों की बढ़ती संख्या और यूरेनियम प्रदूषण के कारण भूजल के दूषित हो जाने की सत्य घटना पर आधारित है।

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इसी वर्ष हर्षप्रीत कौर, शबाना आज़मी और मकरंद देशपांडे अभिनीत फिल्म ‘द विशिंग ट्री : कल्पवृक्ष’ प्रदर्शित हुई थी, जिसमें निर्देशिका मणिका शर्मा ने कुछ दोस्तों द्वारा सैकड़ों साल पुराने चमत्कारी शक्तियों से लैस वृक्ष को कटने से बचाने की जद्दोजहद को प्रदर्शित किया है। साल 2017 में ही अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर अभिनीत फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ प्रदर्शित होती है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित थी। इस फिल्म में रोचक ढंग से खुले में शौच के दुष्प्रभावों का अंकन करते हुए मध्य प्रदेश की एक महिला द्वारा ससुराल में शौचालय न बनने तक न आने की सच्ची घटना को पिरोया गया है। यह फिल्म सुपरहिट होती है और आने वाली फिल्मों के लिए प्रेरक का कार्य करती है। 2017 में ही नवाजुद्दीन सिद्दीकी, प्राची देसाई और जैकी भगनानी अभिनीत ‘ कार्बन : द स्टोरी ऑफ टुमॉरो’ शॉर्ट फिल्म में पृथ्वी पर ऑक्सीजन की कमी हो जाने पर ऑक्सीजन के अवैध व्यापार की चर्चा की गई थी, जो कोविड की दूसरी लहर आने पर साल 2021 में हमने प्रत्यक्ष रूप से घटित होते हुए देखी।

इसके अगले साल सन 2018 में इसी विषय पर नीलमाधव पांडा की फिल्म ‘हल्का’ आती है, जिसमें एक बच्चा पिचकू अपने पिता के विरोध के बावजूद मुंबई के अपने स्लम में शौचालय की मांग करते हुए मंत्रालय तक पहुँच जाता है और अनेक अवरोधों का सामना करता है।
सुशांत सिंह और सारा अली खान की फिल्म ‘केदारनाथ’ का प्रदर्शन सन 2018 में हुआ था। यह फिल्म सन 2013 में उत्तराखंड, विशेषकर केदारनाथ धाम में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन की पृष्ठभूमि में बुनी प्रेम कहानी है, जो महत्त्वपूर्ण विषय लेने के बावजूद मुंबइया मसलों में उलझकर एक बेहतरीन फिल्म बनने से चूक गई। ‘2.0’ सन 2018 में ही प्रदर्शित रजनीकान्त और अक्षय कुमार की बेहतरीन फिल्म है, जिसमें मोबाइल फोन के विकिरण से पक्षियों के मरने की गंभीर समस्या की चर्चा की गई है। इसी साल आई फिल्म ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ में आठ साल का बच्चा कन्नू अपनी माँ के लिए शौचालय बनवाने का सपना देखता है और इसके लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखता है।

इसी वर्ष प्रदर्शित हॉरर फिल्म ‘तुम्बाड़’ में प्रकृति के दोहन के मनुष्य के लोभ की पराकाष्ठा और इसके दुष्परिणाम की कथा बुनी गई है| ‘जंगली’ फिल्म सन 2019 में प्रदर्शित हुई थी, जिसमें नायक राज नायर (विद्युत जामवाल) एक अभयारण्य में हो रही हाथी दांत की तस्करी को रोकता है। (क्रमशः..)

(प्रो. पुनीत बिसारिया बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी में हिंदी के प्रोफेसर हैं और फिल्मों पर लिखने के लिए जाने जाते हैं। वे  द फिल्म फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं तथा गोल्डेन पीकॉक इंटरनेशनल फिल्म प्रोडक्शंस एलएलपी के नाम के फिल्म प्रोडक्शन हाउस के सीईओ हैं।)

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