Hindi Cinema में नायक से बड़ा होता कहानी का कैनवास

पंद्रह अगस्त को जब देश स्वतंत्रता दिवस (Independence day) की 78वीं वर्षगांठ मना रहा था, तब बड़े फिल्मी सितारों की भीड़ से दूर एक छोटी सी फिल्म फिल्म सिनेमा हॉल में धमाल मचा रही थी। यह फिल्म थी स्त्री पार्ट 2, जो छह साल बाद एक बार फिर चंदेरी की गलियों से निकलकर धमाल मचाने आई है।

Written By : प्रो. पुनीत बिसारिया | Updated on: November 5, 2024 1:44 pm

Hindi Cinema में अमर कौशिक नामक अनाम फिल्म निर्देशक (Film Director) और राजकुमार राव (Rajkumar Rao) , श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor) एवं पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) जैसे कलाकरों ने तथाकथित सुपर स्टार(Super Star) की दौड़ से दूर के बेहतरीन कलाकारी और चुस्त पटकथा (script) के बल बूते पर हॉरर (Horror) की ऐसी दुनिया बसाई है, जिसमें जाकर दर्शक फिल्म को हिट बना रहे हैं।

पहली बार नहीं हो रहा ऐसा

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। अब से पहले दक्षिण भारत के हिंदी पट्टी में अपरिचित कलाकारों की डब फिल्मों ने आकर हिंदी के दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने का काम बखूबी किया है। कल्कि, 2.0, सालार, आरआरआर, केजीएफ, बाहुबली, साहो, कांतारा, पुष्पा द राइजिंग और ऐसी ही अनेक फ़िल्मों ने दर्शकों को नए टेस्ट से परिचित कराया है। इसके बीज तो सन 1982 में ही गाँधी फिल्म से पड़ गए थे, जिसकी सफलता में नामचीन कलाकारों का नामोनिशान नहीं था और दमदार कहानी तथा शानदार अभिनय के कारण इसे दर्शकों ने हाथो हाथ लिया था।

ओटीटी आने के बाद इस तरह मिल रही है राष्ट्रीय एकता को मजबूती

पहले एक से अधिक भाषा में फिल्म रिलीज़ करने के लिए मणिरत्नम को रावण फिल्म को दो बार अभिनेताओं की अदला बदली करते हुए उतर और दक्षिण भारत के दर्शकों के लिए उनके पसंदीदा अभिनेताओं को हीरो दिखाकर शूट करना पड़ा था। अब ओटीटी के आने के बाद से एक फिल्म को एक से अधिक भाषाओं में डब करके एक ही बार में फिल्माकर फिल्म को रिलीज़ कर दिया जाता है और दोनों क्षेत्रों के कलाकारों को एक साथ लेकर फिल्में बनाई जा रही है, जिससे एक भारत की अवधारणा और राष्ट्रीय एकता (National Integration) को मजबूती मिल रही है। बॉलीवुड भी अब दक्षिण भारत की फ़िल्मों को प्रोड्यूस और डायरेक्ट कर रहा है, जिससे एक राष्ट्रीय फ़िल्म उद्योग (Indian National Film Industry) की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है, जो भारतीय फिल्म जगत के लिए शुभ लक्षण है।

हटेगा स्टार किड्स ओनली का टैग

यहां एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि उत्तर- दक्षिण सिनेमा के मेल से स्टार किड्स ओनली (Star Kids only) का टैग फ़िल्म इंडस्ट्री से हटेगा और Hindi Cinema में वास्तविक प्रतिभाएं फिल्मों में आकर सफलता हासिल करेंगी।

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