तीर्थक्षेत्र तिरुपति में आईजीएनसीए के 10वें क्षेत्रीय केन्द्र का हुआ शुभारम्भ

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कला संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने तिरुपति में अपने 10वें क्षेत्रीय केंद्र का शुभारम्भ किया।

Written By : डेस्क | Updated on: March 12, 2025 11:18 pm

आईजीएनसीए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है, जिसका उद्देश्य भारतीय कला, संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करना और बढ़ावा देना है।आईजीएनसीए और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के सहयोग से स्थापित यह केंद्र भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और प्रचारित करने के लिए विभिन्न शोध, अध्ययन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।

राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के परिसर में आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं प्रख्यात नृत्य गुरु और आईजीएनसीए की ट्रस्टी ‘पद्म विभूषण’ डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम। इस अवसर पर राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के कुलपति प्रो. जी.एस.आर. कृष्णमूर्ति और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी एवं निदेशक (प्रशासन) डॉ. प्रियंका मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति रही।

उद्घाटन कार्यक्रम की शुरुआत में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके बाद प्रो. द्वारम लक्ष्मी ने ‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो’ भजन की प्रस्तुति दी। इस शुभ अवसर पर, आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री के. पवन कल्याण ने आईजीएनसीए को अपना शुभकामना संदेश प्रेषित किया। संदेश में उन्होंने आईजीएनसीए को दसवें केन्द्र के शुभारम्भ के लिए हार्दिक बधाई दी। उद्घाटन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम ने नए क्षेत्रीय केन्द्र तिरुपति को आईजीएनसीए की दसवीं बांह बताया।
स्वागत भाषण में आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि यह बहुत सम्मान और गर्व की बात है कि आईजीएनसीए के 10वें क्षेत्रीय केन्द्र का शुभारम्भ हो रहा है, जो पावन पद्मावती मंदिर के पास स्थित है। यह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पहला क्षेत्रीय केन्द्र है, जिसके लिए प्रो. जी.एस. कृष्णमूर्ति ने पूरे हृदय से सहयोग किया। स्वागत भाषण में डॉ. जोशी ने आईजीएनसीए के कार्यों और उद्देशय के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने आईजीएनसीए के सभी क्षेत्रीय केन्द्रों की विशेषज्ञता क्षेत्रों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमारा त्रिशूर केन्द्र वैदिक अध्ययन के लिए समर्पित है, वहीं वड़ोदरा केन्द्र आधुनिक कला के अध्ययन, गोवा केन्द्र अंतर-सांस्कृतिक सम्बंध, वाराणसी केन्द्र शैव तंत्र के अध्ययन के लिए समर्पित है। इसी तरह, दूसरे क्षेत्रीय केन्द्र भी भारतीय कला-संस्कृति की विभिन्न परम्पराओं के लिए समर्पित हैं। डॉ. जोशी ने कहा कि तिरुपति आगमों का केन्द्र है, और विशेषकर वैष्णव आगम। हम तिरुपति केन्द्र को वैष्णव आगम की विशेषज्ञता और भारतीय स्थापत्य परम्परा को समर्पित केन्द्र के रूप में विकसित करेंगे।

डॉ. जोशी ने अपने भाषण में आंध्र नाट्य के बारे में भी बात की और विद्वानों एवं शोधकर्ताओं से इस पर काम करने के लिए आह्वान किया। साथ ही, उन्होंने लालकिला स्थित एबीसीडी प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर, 2023 में किया था। उन्होंने कहा कि आईजीएनसीए ओसाका के वर्ल्ड ट्रेड एक्सपो में भारतीय पेवेलियन को क्यूरेट कर रहा है।
प्रो. जी.एस. आर. कृष्णमूर्ति ने संस्कृत में भाषण दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को जोड़ने से ही संस्कृत आगे बढ़ेगी। आईजीएनसीए की निदेशक (प्रशासन) डॉ. प्रियंका मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन आईजीएनसीए के श्री सुमित डे ने किया। आईजीएनसीए की इस पहल से न केवल तिरुपति क्षेत्र, बल्कि पूरे दक्षिण भारत में कला और संस्कृति के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे।

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