लोक संगीत से हुआ आईजीएनसीए के स्थापना दिवस समारोह का समापन

अपने 38 वर्षों की यात्रा में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) ने भारत की कला-संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और प्रसार में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। आईजीएनसीए इसके लिए निरंतर प्रयासरत और प्रतिबद्ध है। केन्द्र के 38वें स्थापना दिवस कार्यक्रमों में भी यह प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से देखने को मिली।

Written By : डेस्क | Updated on: March 20, 2025 10:45 pm

आईजीएनसीए के तीन दिवसीय स्थापना दिवस का समापन 19 मार्च को देर शाम, राजस्थान की विश्वविख्यात मांड-फाग गायिका ‘पद्म श्री’ बेगम बतूल के गायन और उत्तराखंड के लोक संगीत की प्रस्तुतियों से हुआ। इस समारोह में मुख्य अतिथि थे आईजीएनसीए के अध्यक्ष ‘पद्म भूषण’ श्री रामबहादुर राय। इस अवसर पर प्रख्यात नृत्यगुरु, पूर्व राज्यसभा सांसद ‘पद्म विभूषण’ डॉ. सोनल मानसिंह और प्रख्यात नृत्यगुरु ‘पद्म विभूषण’ डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम के साथ आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी की भी गरिमामय उपस्थिति रही।

स्थापना दिवस समारोह की अंतिम संध्या लोक संगीत के नाम रही, जिसमें पद्मश्री बेगम बतूल ने राजस्थानी लोक संगीत की बहुरंगी छटा बिखेरी। उन्होंने गणेश वंदना, ‘बोलो राम राम’, भजन, ‘केसरिया बालम’ और मारवाड़ी लोकगीत सुनाकर श्रोताओं को आनंदित कर दिया। गौरतलब है कि पेरिस में आयोजित होने वाले यूरोप के सबसे बड़े होली उत्सव में बतूल बेगम का गायन सबके आकर्षण का केन्द्र होता है। इसके बाद, सुभाष देवराढ़ी और उनके ग्रुप ने उत्तराखंड के लोक संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों से मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने वीर नृत्य, छबेली नृत्य के साथ और उत्तराखंड के दूसरे लोक नृत्यों और गीतों की प्रस्तुति दी।

स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन 17 मार्च को ‘हवेली संगीत पर राष्ट्रीय संगोष्ठी’ से हुआ था। इसमें पुष्टिमार्ग परम्परा के आचार्य रणछोड़लाल जी गोस्वामी ने अपने व्याख्यान प्रदर्शन के माध्यम से हवेली संगीत की बारीकियों के बारे में बताया। दूसरे दिन, भारतीय समकालीन नृत्य की प्रस्तुति ‘आदि अनंत’ में अन्वेषण समूह ने कलारिपयट्टु और छऊ नृत्य पेश किया था, जिसकी निर्देशक और कोरियोग्राफर संगीता शर्मा थीं। इसी दिन, दूसरी प्रस्तुति में रोनकिनी गुप्ता ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन से श्रोताओं को आनंदविभोर कर दिया।

आईजीएनसी का तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोह शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत का अनूठा मिश्रण था । शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत से सराबोर इस समारोह का कलाप्रेमियों ने ख़ूब लुत्फ लिया।

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