परमाणु वार्ताकार अली बाघेरी ( Ali Bagheri) को विदेश मंत्री बनाया गया है। रईसी की मौत पर अरब देशों में गम छाया है। ईरान ने पांच दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। सीरिया ( Syria) और लेबनान ( lebnan) ने राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। यमन के ईरान समर्थित हुती ने इसे अरब देशों की भारी क्षति बताया है। भारत ने ईरान के लोगों के प्रति समवेदना व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और विदेशमंत्री जे जयशंकर ने राष्ट्रपति रईसी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
दुर्घटना नहीं हत्या
लेकिन यह दुर्घटना तरह-तरह के सवाल भी खड़ा कर रही है। यह भी कहा जाने लगा है कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि एक साजिश के तहत उनकी हत्या की गई है और शक इजरायल और अमेरिका पर जताया जा रहा है। इजरायल ने किसी तरह की साजिश से इन्कार किया है। रईसी की मृत्यु तब हुई जब कुछ ही दिनों में ईरान परमाणु शक्ति होने जा रहा था। इसी से संदेह और बढ़ जाता है। लंदन में ईरानी दूतावास के सामने लोगों ने प्रदर्शन भी किया है। अमेरिका ने भी शीर्ष अधिकारियों की बैठक कर स्थिति का आंकलन किया है।
शक इजरायल पर
अरब देशों के लिए रईसी की मौत बड़ा झटका है क्योंकि वह दो इस्लामी देशों को भी परमाणु बम देने की घोषणा कर चुके थे। लेबनान और सीरिया के तो वह पूरे समर्थक थे। इसी से इन देशों में शेाक की लहर है। ईरान राजनीतिक और सामरिक रूप से भी इजरायल का घोर विरोधी है। इसी से शक की सुई इजरायल की ओर जा रही है कि कहीं उसी ने तो अपने किसी अभियान के तहत उनके हेलीकॉप्टर को दुर्घटनाग्रस्त न कर दिया हो।
रईसी की नीतियों पर ही ईरान
राष्ट्रपति रईसी की मौत के बाद देश की तीन कार्यदायी सस्थाओं – कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका की शीर्ष बैठक प्रथम उप राष्ट्रपति मुहम्मद मोकाबेर के नेतृत्व में हुई जिसमें कहा गया कि ईरान राष्ट्रपति रईसी की नीतियों को पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ाएगा। उपराष्ट्रपति 50 दिनों के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका में रहेंगे और उसके बाद सर्वाच्च नेता अयातुल्ला खोमैनी( Ayatollah Ali khamenei) के आदेश पर चुनाव कराये जा सकते हैं।
पहाड़ी क्षेत्र में दुर्घटना
रईसी अजरबैजान की सीमा पर ईरानी पूर्वी अजरबैजान में बने बांध का उद्घाटन करने गए थे। कार्यक्रम में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीऐब भी थे। अरास नदी पर बने इस तीसरे बांध को दोनों देशों ने मिल कर बनाया है। कार्यक्रम के बाद लौटते समय यह हादसा हुआ। उनके काफिले में तीन हेलीकॉप्टर थे जिनमें दो सुरक्षित पहुंच गए लेकिन राष्ट्रपति का हेलीकॉप्टर घने कुहरे के बीच दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उनके न पहुंचने पर तलाश शुरू की गई। खराब मौसम और दुर्गम क्षेत्र के कारण भी इसमें बाधा डाली। सुबह के समय दुर्घटनाग्रस्त वाहन के हिस्से और लोगों के शव मिले। रईसी अतिकट्टरवादी माने जाते थे और उनके नेतृत्व में ईरान तेजी से परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ा रहा था। उनपर 1988 में हजारों राजनीतिक बंदियों की सामूहिक फांसी देने का भी आरोप है। इसी फांसी कांड के बाद अमेरिका ने ईरान पर पाबंदी लगाई है।