जनसमूह में जैन धर्म (Jain Dharma) के महान संत प्रसिद्ध जीवन है पानी की बूंद महाकाव्य के मूल रचियता विमर्श लिपि के स्रजेता राष्ट्रीय योगी संत श्री 108 विमर्श सागर महामुनि राज के मंगल सानिध्य दशलक्षण पर्व की महाबेला पर सम्मान समारोह एवं क्षमावाणी महापर्व यमुनापार में पहली बार इतना विशाल समस्त जैन समाज द्वारा आयोजित किया गया।
पूर्व निगम पार्षद नरेंद्र जैन ने बताया
यहां विवान हॉल में आयोजित इस विशाल कार्यक्रम के संयोजक पूर्व निगम पार्षद नरेंद्र जैन (Narendra Jain) और समाज सेवी टीनू जैन (Tinu Jain) ने स्थल पर आए मीडिया पर्सन को बताया केंद्रीय मंत्री एम सांसद हर्ष मल्होत्रा सहित कई नेताओ ने आचार्य श्री विमर्श सागर महामुनि राज जी से आशीर्वाद लिया।
नरेंद्र जैन और टीनू जैन के अनुसार, मुनिराज विमर्श सागर जी महाराज अपने पच्चीस वर्षीय संयमी जीवन में देश के अलग- अलग कोने में अस्सी हजार से ज्यादा किलोमीटर की पदयात्रा करके जनमानस में अहिंसा, शाकाहार, व्यसन मुक्ति और देश भक्ति की अलख जगाने का पुनीत कार्य कर रहे हैं।
महामुनि राज विमर्श सागर जी ने क्या कहा
यहां उमड़ी हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए महामुनि राज विमर्श सागर जी ने कहा, क्षमा को सुशोभित कीजिए ,जीवन में बैर की खाई नहीं क्षमा का भवन तैयार करें।
क्षमा मांगना और दूसरों को क्षमा करना यही क्षमा वाणी है
Jain Dharma के महामुनि राज जी ने कहा क्षमा शब्द मानवीय जीवन की आधार शिला है, दस लक्षण पर्व हमें यही सीख देता है कि क्षमावाणी के दिन हमें अपने जीवन से सभी तरह के बैर भाव-विरोध को मिटा कर प्रत्येक व्यक्ति से क्षमा मांगनी चाहिए और हमें भी दूसरों को क्षमा करना चाहिए, यही क्षमावाणी है, इस अवसर पर संगीत और भक्तिपूर्ण नृत्य का कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। आयोजको द्वारा सात्विक भोजन प्रसाद का भी प्रबन्ध किया गया।
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