Lakshya Sen का जन्म 16 अगस्त 2001 को उत्तराखंड के अल्मोडा में एक बंगाली परिवार में हुआ था। बैडमिंटन स्वाभाविक रूप से लक्ष्य में आया क्योंकि उनके दादा चंद्र लाल सेन ने ही थे अल्मोडा में बैडमिंटन की शुरुआत की थी। लक्ष्य के पिता डी के सेन लक्ष्य के पहले कोच थे।
2010 में, डी के सेन अपने बड़े बेटे चिराग को यूनियन बैंक ऑल-इंडिया सब-जूनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट में खेलने के लिए ले जा रहे थे। वहां लक्ष्य ने भी खेलने की इच्छा जताई, इस तरह लक्ष्य ने पिता को साथ ले जाने के लिए मना लिया। एक कोच ने लक्ष्य का खेल देख भारत में बैडमिंटन के प्रकाश स्तंभ रहे प्रकाश पदुकोण से सिफारिश की और लक्ष्य से प्रभावित होकर पदुकोण ने उन्हें अपनी अकादमी में साथ ले लिया।
Lakshya Sen ने प्रकाश पदुकोण अकादमी (academy) में कड़ी ट्रेनिंग की और महज 15 साल की उम्र में राष्ट्रीय पुरुष एकल फाइनल में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बनकर अपने गुरु प्रकाश पदुकोण द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया। बैडमिंटन में करियर बनाने के साथ-साथ लक्ष्य ने अपनी स्कूली शिक्षा बीयरशेबा सीनियर सेकेंडरी स्कूल, हलद्वानी, उत्तराखंड से पूरी की।
करियर और जीत का लक्ष्य
जिनके नाम का अर्थ ही लक्ष्य यानि Target है, उसने अपने करियर की उज्ज्वल शुरुआत की थी। साल 2016 में लक्ष्य थाईलैंड में एशियन जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल करने में कामयाब रहे। लक्ष्य ने कड़ी प्रैक्टिस की और राष्ट्रीय स्तर पर कई गेम जीते, लेकिन उन्हें अगली बड़ी सफलता 2018 में मिली, जब यूथ ओलंपिक में 17 साल के खिलाड़ी ने रजत पदक जीता। उनके प्रदर्शन से उन्हें सुर्खियां मिलीं. Lakshya Sen यहीं नहीं रुके; उसी वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक और एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। उनकी जीत ने 2021 विश्व चैंपियनशिप में उन्हें बैडमिंटन जगत में सम्मान दिलाया।
22 साल की छोटी उम्र में, लक्ष्य सेन ने ओलंपिक के इतिहास में सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाले एकमात्र पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी और कुल मिलाकर तीसरे खिलाड़ी बनकर रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने ताइवान के चाउ-टीन चेन (Chou Tien-chen) को 19-21, 21-15, 21-12 से हराया है।
Lakshya Sen पूर्व विश्व जूनियर नंबर 1 हैं। उन्होंने लड़कों के एकल में 2018 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप और मिश्रित टीम स्पर्धा में ग्रीष्मकालीन युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने 2021 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और 2022 ऑल इंग्लैंड ओपन में उपविजेता रहे। सेन2022 में उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने थॉमस कप में जीत हासिल की थी। उन्होंने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता।
Lakshya Sen ने बहुत कम उम्र में ही बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में अपनी प्रतिभा दिखा दी थी। 2014 में, उन्होंने स्विस जूनियर इंटरनेशनल जीता और 2016 में जूनियर बैडमिंटन सर्किट में शानदार प्रदर्शन किया। सन फीक्सियांग (Sun Feixiang) से 12-21, 16-21 से हारने के बाद उन्होंने जूनियर एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। संयोगवश, जूनियर विश्व चैंपियनशिप के प्री-क्वार्टर में सेन फिर से सन से 21-17 ,8-21 और 13-21 से हार गए। इसके बाद सेन ने सीनियर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा की और 2016 इंडिया इंटरनेशनल सीरीज़ टूर्नामेंट में पुरुष एकल का खिताब जीता।
सेन उस भारतीय टीम के सदस्य थे जिसने फरवरी 2023 में बैडमिंटन एशिया मिश्रित टीम चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। 2023 में 9 जुलाई को, लक्ष्य सेन ने कनाडा के कैलगरी में कनाडा ओपन के फाइनल में चीन के ली शिफेंग को सीधे सेटों में 21-18, 22-20 से हराया। सेन उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने 2022 एशियाई खेल में पुरुष टीम स्पर्धा में रजत पदक जीता था।
Lakshya Sen से पहले, केवल किदांबी श्रीकांत (2016) और पारुपल्ली कश्यप (2012) ही ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करने में सफल रहे थे, लेकिन पदक नहीं जीत सके।
लक्ष्य के लिए पेरिस ओलंपिक का अब तक का सफर शानदार रहा है। पेरिस ओलंपिक के प्री क्वार्टर फाइनल में लक्ष्य का मुकाबला एचएस प्रणय से हुआ और उन्होंने 21-12, 21-6 से अपनी जीत पक्की कर ली। पी वी सिंधु की हार के बाद अब लक्ष्य ही पेरिस ओलंपिक में बैडमिंटन में भारत के लिए पदक जीतने की एकमात्र उम्मीद हैं।
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