Likhtee Hoon Zindagi Tujhe
‘लिखती हूँ जिंदगी तुझे’ हिंदी की विदुषी लेखिका, कवयित्री डॉ. माया प्रसाद की हाल में प्रकाशित कविता संग्रह है. माया जी तीन दशकों से अधिक समय तक विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाती रही हैं.माया जी की कविताएं जीवन के यथार्थ की कविताएं हैं जिसमें जीवन के सारे रस हैं.
जीवन कभी भी सिर्फ कठिनाइयों, कष्टों और तकलीफों का नाम नहीं है. इसमें अलग-अलग समय में जीवन के रंग अलग अलग होते हैं. “हमने अपने बारहमासे जिनके ऊपर वार दिये, उनके घर से अक्सर मुझको पतझड़ का पैगाम मिला. फूलों में घुसपैठ किये जो, बिछ जाते हैं राहों पर, बेशरमी, बेरहमी से इतराते सर्द गुनाहों पर.”
Likhtee Hoon Zindagi Tujhe
कुल चौहत्तर कविताओं में शामिल हैं 16 गीत और 20 ग़ज़ल
(गीत, पृष्ठ19) नब्बे पृष्ठों की कविता संग्रह ‘लिखती हूँ जिंदगी तुझे’ में कुल चौहत्तर कविताएं हैं जिनमे सोलह गीत हैं, बीस ग़ज़ल हैं और बाकी कविताएं हैं। अगर गज़लों का एक अलग संग्रह किया जाता तो बेहतर था. संग्रह की कविताएं अच्छी हैं पर गज़लें बहुत खूबसूरत हैं. कवयित्री माया प्रसाद जी हिंदी और उर्दू शब्दों का उत्तम प्रयोग जानती हैं. गीतों में भी मायाजी के कवयित्री रूप को देखा जा सकता है।।
‘ये शब्दों की दुनिया, किताबों के मेले, सलामत अगर हैं नहीं हम अकेले. कहीं आग इसके सफों पर लिखी है , कहीं कैद है इसकी आंखों का पानी, कहीं खौलती हैं, कहीं ये मचलती , किताबें हैं ये आईने जिंदगानी.’
(किताबों के मेले, पृष्ठ 83)
इस काव्य संग्रह की छपाई बहुत अच्छी है.
काव्य संग्रह : ” लिखती हूँ जिंदगी तुझे ”
कवयित्री : माया प्रसाद
प्रकाशन : दिशा इंटरनेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली,
मूल्य: 290 रुपये
(पुस्तक के समीक्षक प्रमोद कुमार झा रांची दूरदर्शन केंद्र के पूर्व निदेशक हैं और कला व साहित्य के राष्ट्रीय स्तर के मर्मज्ञ हैं।)
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