महाराष्ट्र कैबिनेट में फेरबदल: छगन भुजबल और अन्य नेताओं ने खोला मोर्चा!

महाराष्ट्र कैबिनेट के ताजे विस्तार के बाद कई नेताओं ने मंत्री पद से वंचित रहने पर नाराजगी व्यक्त की है। छगन भुजबल और सुधीर मुनगंटीवार समेत अन्य नेताओं ने अपने असंतोष का इज़हार किया, जिससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है।

NCP leader Chhagan Bhujbal (left) and BJP leader Sudhir Mungantiwar (right). (Photos: X)
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: December 16, 2024 8:33 pm

महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट विस्तार के एक दिन बाद विभिन्न दलों में असंतोष का माहौल बन गया है। कई प्रमुख नेताओं ने मंत्री पद से वंचित रहने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इनमें सबसे प्रमुख नाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल का है, जिन्होंने सोमवार को नागपुर से नासिक लौटते हुए इस पर प्रतिक्रिया दी।

छगन भुजबल का नाराजगी व्यक्त करना

भुजबल, जो NCP में ओबीसी समुदाय के एक महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं, कैबिनेट विस्तार में अपना नाम शामिल न किए जाने को लेकर नाराज हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उनके द्वारा मराठा समाज के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरंगे-पाटिल के खिलाफ उठाए गए कदम का परिणाम हो सकता है। भुजबल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “कुछ दिन पहले मुझसे पूछा गया था कि क्या मैं राज्यसभा जाना चाहता हूं, लेकिन मैंने इसका विरोध किया। मुझे विधानसभा से इस्तीफा देकर राज्यसभा जाना नहीं था, क्योंकि यह मेरे मतदाताओं से धोखा होता।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनके ओबीसी समुदाय के पक्ष में खड़े होने के कारण उन्हें यह “तोहफा” मिला है। भुजबल ने यह स्पष्ट किया कि वह नासिक इसलिए लौट रहे हैं क्योंकि वहां उनके समर्थक उनका स्वागत करने के लिए इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या वह बाकी विधानसभा सत्र के लिए नागपुर लौटेंगे या नहीं।

शिवसेना और बीजेपी नेताओं का असंतोष

NCP के साथ-साथ शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में भी मंत्री पद से वंचित नेताओं की नाराजगी सामने आई है। शिवसेना विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने मंत्री पद से वंचित रहने के बाद पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा, पूर्व मंत्री और शिवसेना के विधायक विजय शिवतारे ने भी अपनी असंतोष व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे मंत्री पद से वंचित किया गया, लेकिन जो अपमान मुझे तीन नेताओं से झेलना पड़ा, वह मेरे लिए काफ़ी पीड़ादायक है।”

उन्होंने महाराष्ट्र में जाति आधारित समीकरणों को प्राथमिकता देने पर आपत्ति जताई और कहा कि यह राज्य को बिहार जैसा बना रहा है। वहीं, वरिष्ठ BJP नेता सुधीर मुनगंटीवार भी मंत्री पद से वंचित होने के बाद पहले दिन विधानसभा सत्र में उपस्थित नहीं हुए। इसके साथ ही स्वतंत्र विधायक रवि राणा भी सत्र के पहले दिन अनुपस्थित रहे।

इस असंतोष के चलते महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, जो आने वाले दिनों में सरकार के लिए एक चुनौती साबित हो सकती है।

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