महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है। विधानसभा चुनाव के बाद भी राजनीतिक घटनाक्रम लगातार सुर्खियों में है। इन दिनों चर्चा जोरों पर है कि शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के आठ सांसद और दस विधायक उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के गुट में शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि ये नेता अजीत पवार के संपर्क में हैं और जल्द ही अपने फैसले का ऐलान कर सकते हैं।
इस बीच, एनसीपी के दोनों गुटों के बीच सुलह की संभावनाओं को लेकर भी चर्चा हो रही है। यहां तक कि शरद पवार के भाजपा और एनडीए के साथ जुड़ने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
पुनर्मिलन की कोशिशें तेज
अजीत पवार की मां की ओर से चुनाव के बाद पूरे पवार परिवार को एकजुट होने की अपील के बाद यह चर्चा तेज हुई। भाजपा के राज्य अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी हाल ही में कहा कि भाजपा को शरद और अजीत पवार के पुनर्मिलन से कोई आपत्ति नहीं है।
इसके अलावा, अजीत पवार के सहयोगी प्रफुल्ल पटेल ने भी इस विचार का समर्थन किया है। इस दौरान शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते हुए उनके गढ़चिरौली में किए गए कार्यों की सराहना की। एनसीपी के नेताओं की ओर से भी फडणवीस को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी हाल ही में देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “एकमात्र व्यक्ति जो मिशन मोड में काम कर रहा है, वह देवेंद्र फडणवीस हैं। यह एक अच्छी बात है और हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।”
सियासी मजबूरियां और चुनौतियां
कई एनसीपी विधायकों और सांसदों का मानना है कि विपक्ष में रहने से उनके क्षेत्रों के विकास कार्य बाधित हो सकते हैं। बिना सरकारी फंड के जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल होगा। इसी कारण एनडीए से जुड़ने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।
हालांकि, शरद पवार गुट की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि शरद पवार, अपनी बेटी सुप्रिया सुले के लिए केंद्र में मंत्री पद सुनिश्चित करने की शर्त पर विचार कर सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएं और सियासी समीकरण
अजीत पवार का गुट पहले ही चुनाव आयोग द्वारा एनसीपी का असली धड़ा घोषित हो चुका है। वहीं, शरद पवार के गुट को अब अपने राजनीतिक भविष्य के लिए समझौतों पर विचार करना पड़ रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि शरद पवार का एनडीए से जुड़ना उनकी स्थापित विचारधारा और छवि के खिलाफ होगा। वरिष्ठ पत्रकार रोहित चंदावरकर कहते हैं, “शरद पवार हमेशा से वामपंथी विचारधारा के समर्थक रहे हैं। साथ ही, उन्हें यह भी डर है कि भाजपा अपने सहयोगियों को हाशिए पर रखने की नीति अपनाती है। यह उनकी बेटी सुप्रिया सुले और अन्य नेताओं के लिए खतरा हो सकता है।”
वहीं, विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) ने इन अटकलों को खारिज करते हुए दावा किया है कि शरद पवार गठबंधन के प्रति वफादार हैं। उनका भाजपा या एनडीए के साथ जाना एमवीए और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा।
शरद पवार के राजनीतिक कदमों की भविष्यवाणी करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में उनका स्वतंत्र शक्ति के रूप में टिके रहना कठिन नजर आ रहा है।
यह भी पढ़े:राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि केस : वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई स्थगित