भारत में बनी मलेरिया वैक्सीन को मिली मंजूरी
भारत में बनी मलेरिया की इस वैक्सीन (malaria vaccine) को मंजूरी मिल गई है. अफ्रीका में इस्तेमाल के लिए यह दूसरा मलेरिया वैक्सीन है, जहां दुनिया भर के 95 फीसदी मामले सामने आते हैं. अफ्रीकी राष्ट्र आइवरी कोस्ट को R21 वैक्सीन की 656,600 खुराकें मिली हैं. इसी के साथ टीकाकरण शुरू होगा.भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से मलेरिया की पहली वैक्सीन बनाई गई है.
आइवरी कोस्ट बना इस्तेमाल करने वाला पहला देश
भारत में तैयार इस malaria vaccine इस्तेमाल करने वाला आइवरी कोस्ट (Ivory Cost) पहला देश बन गया है.यहां R21 वैक्सीन की 656,600 खुराकें भेजी गई हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ओर से बनाई गई मलेरिया की वैक्सीन को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से मान्यता मिलने के बाद इसे अफ्रीका भेजा जा रहा. यह दुनिया की दूसरी मलेरिया वैक्सीन है. पश्चिम अफ्रीकी देश की व्यावसायिक राजधानी आबिदजान में ये वैक्सीन बच्चों को दी जाएगी. इसकी शुरुआत जल्द होने वाली है. नई वैक्सीन को घाना, नाइजीरिया, बुर्किनाफासो और मध्य अफ्रीकी देशों ने मंजूरी दी है.
आइवरी कोस्ट को 6 लाख 56 हजार से ज्यादा खुराकें
आइवरी कोस्ट को अभी तक इस टीके की 656,600 खुराक मिली हैं. शुरुआत में आइवरी कोस्ट के 16 क्षेत्रों में नवजात शिशुओं से लेकर 23 महीने तक के 250,000 बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा. WHO 2023 में अफ्रीका में पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की थी. अफ्रीका में मलेरिया से हर साल 600,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. दुनिया के 95 फीसदी मलेरिया के मामले और 96 फीसदी मौतें अफ्रीका में होती हैं. इनमें से ज्यादातर मौतें अफ्रीका महाद्वीप के गरीब देशों में होती हैं. नई वैक्सीन को घाना, नाइजीरिया, बुर्किना फासो और मध्य अफ्रीकी गणराज्य ने अधिकृत कर दिया है, और कई अन्य लोग शिपमेंट प्राप्त करने की तैयारी कर रहे हैं.उम्मीद है भारत में बनी मलेरिया की इस वैक्सीन से अब अफ्रीकी देशों में लोगों की मौत कम होगी.
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