देवोत्थान एकादशी: फिर आया शादियों का मौसम

देवोत्थान एकादशी वर्ष के सबसे पावन दिनों में से एक है जब जगत पालनहार श्रीहरि विष्णु 4 महीनों के बाद यानी आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी के बाद निद्रा योग से उठते हैं। इसी पावन दिन से ही फिर से शादी विवाह का लगन प्रारंभ हो जाता है और शादियों के सीजन की शुरुआत हो जाती है।

Written By : Shashi Jha | Updated on: November 12, 2024 8:47 pm

देवोत्थान एकादशी के पावन दिन से ही फिर से विवाह का लगन  और शादियों के सीजन (Marriage season) की शुरुआत हो जाती है।

देवोत्थान एकादशी वर्ष के सबसे पावन दिनों में से एक है जब जगत पालनहार श्रीहरि विष्णु 4 महीनों के बाद यानी आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी के बाद निद्रा योग से उठते हैं। इसी पावन दिन से ही फिर से शादी विवाह का लगन प्रारंभ हो जाता है और शादियों के सीजन (Marriage season) की शुरुआत हो जाती है। यह दिन श्रीहरि विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी माता की पूजा के लिए भी विशेष माना जाता है। इस वर्ष देवोत्थान एकादशी आज यानी 12 नवंबर को है और आज से शादियों का मौसम आरंभ हो जाएगा। कई पंडितों का मानना है कि आज के दिन की असीम धार्मिक महत्ता के कारण लोग आज किसी भी समय विवाह कर सकते हैं।

धार्मिक, सामाजिक और पारिवारिक उल्लास के साथ साथ इस सीजन का आर्थिक पक्ष भी बहुत ही महत्वपूर्ण है जिससे पूरे देश भर में लाखों लोगों को सीमित समय के लिए ही सही रोजगार प्राप्त होता है। बैंक्विट हॉल, होटल और कैटरिंग से लेकर फूल विक्रेताओं तक को इस सीजन से बहुत अधिक उम्मीद होती है। इसके साथ साथ कपड़ों, फुटवियर, पार्लर, बैंडबाजे वालों, लाइटिंग आदि सेक्टरो को भी ढेर सारा काम मिलता है। इन सभी सेक्टरों से जुड़े लोगों और आयोजनों के लिए बुकिंग महीनों पहले से शुरु हो जाती है। माना जाता है कि विवाह का मौसम आरंभ होने के पहले ही दिन 20 हजार से अधिक विवाह केवल दिल्ली में ही संपन्न हो जाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि इसके साथ साथ शादियों में होने वाला व्यय भी निरंतर बढ़ ही रहा है जिसमें सोने की आसमान छूती कीमतों ने और आग लगा दी है।

वैसे तो पूरे देश में शादियों के इस यह मौसम में धूमधाम रहती है, पर खासकर दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( एनसीआर ) के गाजियाबाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा, और गुरुग्राम जैसे क्षेत्रों में पूरा माहौल बिल्कुल त्यौहारी नजर आता है जिसमें भरे हुए बैंक्विट हॉल, होटल, दूसरे आयोजन स्थल और बेहद मंद गति से चलती ट्रैफिक आम दृश्य होते हैं।

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