पाकिस्तान में छिपा था आतंकी गजिंदर सिंह
साल 1981 में दिल्ली-श्रीनगर इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को हाईजैक करने का आरोपी खालिस्तान समर्थक आतंकी गजिंदर सिंह की मौत लाहौर में दिल का दौरा पड़ने से हो गई. गजिंदर सिंह पाकिस्तान में 40 साल से रह रहा था औऱ वहीं से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता था. पाकिस्तान में उसने दल खालसा नाम से कट्टरपंथी सिख संगठन की स्थापना की थी और भारत विरोधी अभियान चलाता था. भारत सरकार ने 2002 में उसे 20 सबसे वांटेड आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल किया था.
1981 में भारतीय फ्लाइट किया था हाइजेक
29 सितंबर 1981 को, गजिंदर और चार आतंकवादियों ने 111 यात्रियों और छह क्रू मेंबर्स के साथ उड़ान भरने वाली फ्लाइट IC-423 को हाईजैक कर लिया था. अपहर्ताओं ने पायलट को प्लेन लाहौर में उतारने के लिए मजबूर किया, जहां से उन्होंने जरनैल सिंह भिंडरावाले और कई खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों की रिहाई के लिए भारत के तत्कालीन राजदूत के. नटवर सिंह के साथ बातचीत की थी. गजिंदर सिंह के गिरोह ने 5 लाख डॉलर की मांग की और पायलटों का सिर कलम करने की धमकी दी. अपहर्ताओं ने अखबारों में फल लपेटकर दावा किया कि वे हथगोले हैं जिनसे वे विमान को उड़ा देंगे. भारत के राजनयिक दबाव में पाकिस्तानी कमांडो ने हाइजेक प्लेन में एंट्री की, जिसके बाद अपहरण का नाटक समाप्त हो गया. तत्कालीन पाकिस्तान सरकार ने अपहर्ताओं को कई साल तक कैद में रखने का दावा किया था। हालांकि, 1986 में कुछ तस्वीरें सामने आईं जिससे पता चला कि आरोपी खुले आम घूम रहे थे.
एक तस्वीर से हुआ गजिंदर के पाकिस्तान में होने का खुलासा
सितंबर 2022 तक गजिंदर के ठिकाने की किसी को जानकारी नहीं थी। वो कहां है, किस हाल में है, कोई नहीं जानता था। इतने साल तक वो अज्ञात रहा, इसी बीच जब सोशल मीडिया पर उसकी एक तस्वीर आई तो पाकिस्तान में उसके छिपे होने का पता चला। उसने अपनी तस्वीर पोस्ट की थी जिसमें वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हसन अब्दाल में गुरुद्वारा पंजा साहिब के सामने खड़ा था। अपहरण की 41वीं बरसी पर होशियारपुर में एक कार्यक्रम में, दल खालसा ने पाकिस्तान से गजिंदर को राजनीतिक शरण देने पर विचार करने की अपील की.
भारत करता रहा प्रत्यर्पण की मांग
गजिंदर सिंह ने 1996 में जर्मनी की यात्रा की, लेकिन भारत की आपत्तियों के कारण उसे देश में प्रवेश करने से रोक दिया गया. वह पाकिस्तान लौट गया. भारत उसके प्रत्यर्पण की मांग करता रहा, जबकि पाकिस्तान गजिंदर सिंह के अपने क्षेत्र में मौजूदगी से इनकार करता रहा. 2016 में, दल खालसा का पंच प्रधानी नामक एक अन्य कट्टरपंथी संगठन में विलय हो गया. हालांकि अलगाववादी खालिस्तान एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उसने अपना नाम बरकरार रखा.
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