One Nation One Election प्रस्ताव कैबिनेट से हुआ मंजूर, ये आएंगी चुनौतियां

एक देश- एक चुनाव (One Nation One Election)पर लंबे समय से हो रही चर्चा के बीच बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इसे मंजूर कर दिया है। मोदी सरकार अब इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी। एक देश एक चुनाव से अब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने का रास्ता साफ हो गया है।

Written By : सुनील कुमार साहू | Updated on: September 19, 2024 5:47 pm

एक देश एक चुनाव (One Nation One Election)  के लिए बुधवार बड़ा खास रहा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा   एक देश एक चुनाव की सिफारिशों को भारत सरकार की केंद्रीय कैबिनेट नें बुधवार को मंजूर कर लिया। इस मंजूरी से अब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार अब इस प्रस्ताव को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी जहां पर विपक्ष के साथ विचार- विमर्श के बाद संख्या बल के आधार पर इसे पास किया जाएगा। केंद्र सरकार के लिए राहत की बात यह है कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी ने इस बिल का समर्थन किया है।

One Nation One Election पर बनी कमेटी के सदस्यों के नाम

  •  अध्यक्ष– पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
  •  अधिवक्ता – हरीश साल्वे
  •  गृहमंत्री– अमित शाह
  •  कांग्रेस नेता -अभिरंजन चौधरी
  • डीपीए पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद
  •  लोकसभा के पूर्व महासचिव– डॉक्टर सुभाष कश्यप
  •  पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त – संजय कोठारी

कमेटी द्वारा दिए गए सुझाव

  •  कमेटी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने और 100 दिन बाद निकाय चुनाव करने की सिफारिश की है।
  •  सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 के लोकसभा चुनाव तक बढ़ाई जाए।
  •  कमेटी ने चुनाव आयोग को भी निर्देशित किया है कि  लोकसभा विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव के लिए एक समान वोटर आईडी कार्ड हो।

One Nation One Election प्रस्ताव को पास कराने में क्या-क्या चुनौतियां आएंगी

  •  विपक्षी पार्टियों का साथ– इस प्रस्ताव को पास कराने के लिए बीजेपी को एनडीए के घटक दलों के साथ  विपक्षी पार्टियां जैसे कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी आदि  का भी समर्थन प्राप्त होना चाहिए।
  •  संख्या बल में कमी– बीजेपी अगर इसे शीतकालीन सत्र में  लाती है तो सबसे पहले उन्हें 543 सीटों में से 362 पर समर्थन जुटाना होगा और इसके अलावा राज्यसभा में भी 164 सांसदों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए। बीजेपी के पास अभी लोकसभा में 293 सदस्य हैं और राज्यसभा में 119।
  •  संविधान में संशोधन करना– भारतीय जनता पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती संविधान के अनुच्छेद 83, 85,172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा।

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