RBI : अब देखना है कि 6 से 8 अगस्त तक चलने वाले भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी पर बैठक में देश का बैंकिंग रेगुलेटर आम लोगों को लोन ईएमआई में राहत देता है या नहीं ?
रिजर्व बैंक ने सरकार को दिया है अबतक का सबसे ज्यादा डिविडेंड
ये सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है कि क्यों कि खुद रिजर्व बैंक ने सरकार को 2 लाख करोड़ रुपए का इतिहास का सबसे ज्यादा डिविडेंड दिया है. वहीं देश के सभी पब्लिक सेक्टर यानी सरकारी बैंकों ने सरकार को हजारों करोड़ रुपए का डिविडेंड किया है. ऐसे में आरबीआई आम लोगों को लोन ईएमआई में अब राहत क्यों नहीं दे सकती है ?
जून के अलावा 3 महीने तक महंगाई रही है 5 फीसदी से कम
महंगाई की बात करें तो जून को छोड़ कर महंगाई का आंकड़ा लगातार तीन महीने तक 5 फीसदी से नीचे रहा. जबकि फूड इंफ्लेशन की वजह से देश की महंगाई जून के महीने में 5 फीसदी के लेवल पर आ गई. ऐसे में आम लोगों को क्या ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि आरबीआई अब डेढ़ साल तक ब्याज दरों को फ्रीज रखने के बाद अब ब्याज दरों को कम करे.
भारत करता रहा है अमेरिकी फेड का अनुसरण
पिछली बार जून में आरबीआई गर्वनर ने खुद कहा कि हर देश की भौगोलिक और आर्थिक परिस्थिति अलग होती है. आरबीआई पॉलिसी को लेकर जो फैसले लेगा वो डॉमेस्टिक ग्रोथ, महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए लेगा. भारत हमेशा से पॉलिसी रेट को लेकर अमेरिकी फेड का ही अनुसरण करता है.
मतलब साफ है कि 31 अगस्त को दो दिनों की फेड पॉलिसी की मीटिंग होनी है. ऐसे में अगर फेड पॉलिसी रेट को इस बार भी फ्रीज रखता है तो आरबीआई गर्वनर पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. वहीं दूसरी ओर अमेरिका फेड पॉलिसी में कोई बदलाव करे या ना करे लेकिन भारत के लोगों का दबाव अब आरबीआई के साथ—साथ देश की सत्ता पर भी दिखना शुरू हो गया है. जिसकी हल्की सी झलक देश के बजट में भी साफ देखी गई.
RBI के अनुमान से 0.4 फीसदी कम रह सकती है ग्रोथ
खास बात तो ये है जिस ग्रोथ के रास्ते पर आरबीआई चलने की सोच रहा है, सरकार की वो सोच इकोनॉमिक सर्वे में देखने को नहीं मिली। जून की मीटिंग में ग्रोथ को लेकर आरबीआई का अनुमान मौजूदा वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी था. वहीं दूसरी ओर 22 जुलाई को आए इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमिक ग्रोथ 6.5 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक रह सकती है. अगर इसका औसत निकाले तो देश का आर्थिक ग्रोथ 6.8 फीसदी रह सकती है जोकि आरबीआई के अनुमान से 0.4 फीसदी कम है. ऐसे में आरबीआई के सामने असमंजस की स्थिति होगी कि क्या वे इकोनॉमिक सर्वे के अनुमान के अनुसार अपने अनुमान में बदलाव करेगा या नहीं.
देश की महंगाई दर 4.5 फीसदी पर रह सकती है
अगर बात महंगाई के मोर्चे पर करें तो जून के महीने में जो दूसरी तिमाही के लिए अनुमानित रखा था. RBI के अनुसार दूसरी तिमाही में देश की महंगाई 3.8 फीसदी रह सकती है. वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही का एक महीना लगभग पूरा बीत चुका है. तीसरी तिमाही में 4.6 और चौथी तिमाही में 4.6 फीसदी रह सकती है. ऐसे में मतलब साफ है कि देश की महंगाई दर अनुमानित 4.5 फीसदी पर रह सकती है. मतलब साफ है कि आरबीआई को अपने ही आंकड़ों के हियाब से महंगाई से कोई लड़ाई नहीं लड़नी है. ऐसे में देश के लोग लोन ईएमआई कम होने की आसआरबीआई एमपीसी से लगा सकते है.
RBI मीट में 4 सदस्य दे सकते हैं पॉलिसी कट को समर्थन
वहीं हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि जून के महीने में दो और संकेत मिले हैं. अप्रैल के महीने में आरबीआई मीट में सिर्फ एक ही मेंबर ने पॉलिसी कट को लेकर को लेकर अपना समर्थन दिया था. जिसकी संख्या में जून के महीने में इजाफा देखने को मिला और आरबीआई एमपीसी में दो लोगों ने आरबीआई कट को समर्थन किया. अगस्त में ये संख्या बढ़कर 4 भी हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो आरबीआई एमपीसी की 6 सदस्यों में से मैज्योरिटी पॉलिसी कट पर है तो आरबीआई गवर्नर पॉलिसी कट का ऐलान हो सकता है. वहीं सबसे बड़ी बात ये देखने को मिली थी कि आरबीआई एमपीसी की मीटिंग में आने वाले महीनों में पॉलिसी रेट को लेकर उदार रुख अपनाने के संकेत मिले थे.
देखना होगा RBI का रेपो रेट घटाने पर रुख
ये भी याद रखनी चाहिए कि मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक आरबीआई के पॉलिसी रेट में 2.50 फीसदी का इजाफा किया था. उसके बाद से 7 आरबीआई एमपीसी की मीटिंग हो चुकी है. उसके बाद भी आरबीआई आरबीआई एमपीसी ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. मौजूदा समय में आरबीआई रेपो रेट 6.5 फीसदी है. जिसके कम होने की शुरुआत 0.25 फीसदी से हो सकती है. देखना दिचस्प होगा कि आरबीआई का बजट के बाद अगस्त में 3 दिनों तक चलने वाली मीटिंग क्या रुख रहता है।
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