खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.21 प्रतिशत पर पहुंची

देश के आम उपभोक्ताओं को खुदरा महंगाई की मार लगातार झेलनी पड़ रही है। सब्जियों के बाद अब खाने पीने की वस्तुओं की कीमत बढ़ने के कारण अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 6.21 प्रतिशत पर जा पहुंची।

Written By : Shashi Jha | Updated on: November 13, 2024 6:18 pm

14 महीनों में सबसे अधिक : देश के आम उपभोक्ताओं को खुदरा महंगाई  (Retail Inflation) की मार लगातार झेलनी पड़ रही है। सब्जियों के बाद अब खाने पीने की वस्तुओं की कीमत बढ़ने के कारण अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 6.21 प्रतिशत पर जा पहुंची। पिछले महीने भी खराब मौसम के कारण सब्जियों की कीमत में खासी बढोतरी देखी गई थी जो 5.49 प्रतिशत दर्ज की गई थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई का यह प्रतिशत पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 6.68 प्रतिशत महंगाई दर्ज की गई, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 5.62 प्रतिशत बनी रही। निश्चित रूप से  सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचने की जरुरत है।

गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई दर (Retail Inflation) को 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में बनाये रचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि मध्य अवधि लक्ष्य 4 प्रतिशत का है। भारत की खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2022 में 7.79 प्रतिशत की ऊंचाई पर जा पहुंची थी जिसके बाद सरकार ने आपूर्ति में सुधार करने के जरिये स्थिति को नियंत्रित करने करने की कोशिश की।

अक्टूबर महीने में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक ( सीएफपीआई ) ने वर्ष दर वर्ष आधार पर 10.87 प्रतिशत की महंगाई दर दर्ज की जिसकी बड़ी वजह सब्जियों, फलों, तेलों और वसा की बढ़ती कीमतें रहीं। सितंबर महीने में खाद्य महंगाई दर 9.24 प्रतिशत दर्ज की गई थी। दालों, अंडों, चीनी और मसालों जैसी वस्तुओं की कीमतों में कुछ राहत के बावजूद समग्र खाद्य महंगाई की दर में वृद्धि देखी गई। इस साल बढ़ती खाद्य कीमतों की वजह से निम्न आय वाले परिवारों की क्रयशक्ति में गिरावट आई जिससे त्यौहारी सीजन की बिक्री पर प्रभाव पड़ा।

महंगाई दर में वृद्धि और कमी वस्तुओं की मांग और आपूर्ति द्वारा निर्धारित होती है। अगर लोगों के पास अधिक पैसे होंगे तो वे अधिक चीजें खरीदेंगे। अधिक चीजों की खरीद से चीजों की मांग बढ़ेगी और अगर मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं हुई तो फिर इन वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है। महंगाई के बास्केट में करीब 50 प्रतिशत का योगदान खाने पीने की चीजों का ही होता है।

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