झम्मन: जे हुई कोई बात! मज़ा आ गया। लेकिन यह होगा कैसे ?
सिरम्मन: इट्स सिंपल। जिस दिन हम 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी हो जाएंगे। उसी की भोर हम अपनी मुहिम में लग जाएंगे। (भ्रष्टाचार जहां शिष्टाचार हो वहां इसे Satire के रूप में ही लें।)
झम्मन: पर कैसे?
सिरम्मन: हम गोमांस भक्षी देशों से उनकी समस्त गाएं खरीद लेंगे।
झम्मन: यू आर अ जीनियस, सिरम्मन। लेकिन हम उन्हें बदले में क्या देंगे।
सिरम्मन: लीची।
झम्मन: कितनी?
सिरम्मन: हर गाय के बराबर वज़न की लीची
झम्मन: न माने तो?
सिरम्मन: मानेंगे क्यों नहीं। हर गाय के बदले एक इंजीनियर या डॉक्टर भी तो देंगे। एकदम फ्री।
झम्मन: वॉट एन आइडिया सर जी! वाउ!! गाय की गाय मिली और बेरोज़गारी की समस्या का खत्मा भी!
सिरम्मन: थैंक यू झम्मन।
झम्मन: लेकिन, भाई इतने इंजीनियर और डॉक्टर हैं कहां?
सिरम्मन: बात तो सही है। ज़रा सोचने दो।
झम्मन: मैं बताऊं?
सिरम्मन: बोल?
झम्मन: अनेक देशों में अमीरी बढ़ गई है लेकिन आबादी घट गई है।
सिरम्मन: तो?
झम्मन: इन देशों को सैनिक ढूंढे नहीं मिल रहे। दूसरी ओर हमारे यहां करोड़ों युवक फौज़ में जाने पर आमादा हैं। हम इन देशों को इंजीनियरों और डॉक्टरों की जगह….
सिरम्मन: बस बस बस! मैं समझ गया।
झम्मन: एक बात और कहनी थी, सिरम्मन।
सिरम्मन: बताओ…
झम्मन: बात यह है कि मेरा लड़का दुबई में है। उसे शुद्ध भोजन प्राप्त करने में बड़ी मुश्किल होती है।
सिरम्मन: तो?
झम्मन: मैं सोच रहा था कि वहां की सरकार भी अपने यहां हमारा नियम लागू कर दे…
सिरम्मन: कौन सा नियम?
झम्मन: यही कि हर दुकानदार को दुकान के बाहर अपना नाम बड़े बड़े बोल्ड अक्षरों में अंकित करे।
सिरम्मन: बात तो ठीक है। अमीरात में अपना डंका पहले से बज रहा है। रिक्वेस्ट करेंगे। उम्मीद है, मान जाएंगे।
झम्मन: कोशिश करो। वहां अपने लोगों की दुकानें कम हैं अभी। मान जाएंगे तो वहां हम लिट्टी चोखा, छोले भटूरे और दाल बाफला की दुकानें खुलवा देंगे।
सिरम्मन: मुंह में पानी आ रहा है। यार, एक दुकान बनारसी पान की भी लगवा देंगे!
झम्मन: और हरी बूटी की?
सिरम्मन: बिलकुल। तभी तो होगा हर हर…satire
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