Sadgurumata Maa Vijaya Ji द्वारा, पाँच सौ से अधिक नव-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को, इस्सयोग की सूक्ष्म आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक शक्तिपात-दीक्षा प्रदान की गई।
इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में, Maa Vijaya ji ने कहा कि, शक्तियाँ प्रत्येक मनुष्य के भीतर ही स्थित है। किंतु अज्ञानता में वह उसे नहीं जानता। मैं और कुछ नहीं करती, सिर्फ़ उन्हीं शक्तियों से श्रद्धावान जिज्ञासुओं को अवगत करा देती हूँ। एक प्रक्रिया बता देती हूँ कि जिससे वह अपनी शक्तियों को पहचाने और उसका सदुपयोग कर सके। उन्होंने कहा कि इस्सयोग की सहज साधना-पद्धति से हर एक व्यक्ति जुड़ सकता है। यह आडंबर-रहित एक अत्यंत सहज और सरल आध्यात्मिक साधना-पद्धति है। यह मन को साधने की क्रिया है। गुरु-कृपा से, इसे कोई भी सामान्य और गृहस्थ स्त्री-पुरुष सरलता से कर सकता है। इस साधना-पद्धति में किसी भी भौतिक-सामग्री की आवश्यकता नही होती। यह बिलकुल आंतरिक क्रिया-पद्धति है।
कार्यक्रम का आरंभ, भजन-गायक बीरेन्द्र राय और भजन-संयोजिका किरण प्रसाद के संयोजन में, इस्सयोग की विशिष्ट शैली में किए जाने वाले अखंड भजन-संकीर्तन से हुआ और समापन प्रसाद वितरण के साथ।
डा अनिल सुलभ ने क्या बताया
यह जानकारी देते हुए संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ (Anil Shulabh) ने बताया कि कार्यक्रम के सुंदर समायोजन के लिए, संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार, सरोज गुटगुटिया, अनंत कुमार साहू, ए के खरे, राजेश वरणवाल, अमित प्रकाश, हरिनाथ, मंजु देवी, मीरा प्रसाद तथा प्रभात झा समेत बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी, स्वयंसेवक तथा साधक-गण उपस्थित थे।
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