Explainer NEET UG 2024 : हाल के दिनों में, मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET UG काफी विवादों में रही। 24 लाख से अधिक छात्रों के भाग लेने वाले इस परीक्षा पर अनियमितताओं के आरोपों ने विवाद को जन्म दिया । इससे व्यापक विरोध और राजनीतिक हंगामे का कारण बना। इन चिंताओं के जवाब के लिए जांच को CBI को सौंपा गया क्योंकि मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया था । जहां इस पर बारीकी से निगरानी और विचार-विमर्श किया गया है।
Explainer- NEET-UG का पूरा मामला क्या है ?
5 मई को, NEET UG 2024 देश के 571 शहरों में 4,750 केंद्रो पर आयोजित किया गया था।
परीक्षा होने के साथ ही, उसमें गड़बड़ी के आरोप शुरू हो गए। NEET UG में रिज़ल्ट में गड़बड़ी के आरोप लगे। नतीजतन, 67 छात्रों ने 720 अंकों के साथ पहला रैंक प्राप्त किया । पिछले साल, दो छात्रों ने संयुक्त रूप से पहला रैंक प्राप्त किया था । छात्रों ने दावा किया कि कई छात्रों के मार्क्स बढ़ाया या घटाया गया है जो कि बाकी छात्रों की रैंक को प्रभावित कर रहा है। इसे लेकर देशभर में बड़ी संख्या में छात्रों और अभिभावकों ने विरोध प्रदर्शन किया।
Explainer- NEET-UG – NTA के इतिहास में पहली बार 67 छात्रों ने NEET-UG 2024 में 720 अंक प्राप्त किए। परफेक्ट स्कोर करने वालों में छह छात्र हरियाणा के एक ही केंद्र से हैं । यह भी तर्क दिया गया कि 67 छात्रों ने ग्रेस मार्क्स के जरिए उच्चतम रैंक साझा की थी। 1,500 से अधिक छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे ।
छात्रों को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए ?
मेघालय, हरियाणा, छत्तीसगढ़, सूरत और चंडीगढ़ के कम से कम छह केंद्रों के छात्रों ने परीक्षा के दौरान समय की बर्बादी की शिकायत की थी। इन केंद्रों पर परीक्षा लिखने के लिए पूरे 3 घंटे 20 मिनट नहीं मिले। कारण बताए गए कि छात्रों को गलत प्रश्नपत्र बांटा गया, फटी हुई ओएमआर शीट मिली या ओएमआर शीट बांटने में देरी सहित प्रशासनिक कारणों की भी बात सामने आई। NTA द्वारा समय की बर्बादी का पता लगाया गया और ऐसे छात्रों को ग्रेस मार्क्स के साथ भरपाई की गई।
मामला CBI को सौंपा गया
सीबीआई से पहले बिहार की पटना पुलिस ने परीक्षा में हुई कथित धांधली की जांच शुरू कर दी थी। परीक्षा के अगले ही दिन यानी 6 मई पेपर लीक की आशंका पर पटना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
11 मई को कथित पेपर लीक मामले में 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई। देशभर में परीक्षा की जांच के लिए प्रदर्शन शुरू हो गए। उधर देश की सर्वोच्च अदालत में यह मामला पहुंच गया।
17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा।
यह देखते हुए कि परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है, सुप्रीम कोर्ट ने कथित प्रश्नपत्र लीक और अन्य गड़बड़ियों के आधार पर नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की मांग करने वाली याचिका पर 11 जून को केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा।
13 जून को केंद्र ने कोर्ट को बताया कि उसने नीट-यूजी परीक्षा देने वाले 1,563 उम्मीदवारों को दिए गए ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए हैं। केंद्र ने कहा कि उनके पास या तो दोबारा परीक्षा देने या समय की बर्बादी के लिए उन्हें दिए गए कृपांकों को छोड़ने का विकल्प होगा।
अगले दिन 14 जून को शीर्ष अदालत ने परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा।
18 जून को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कहा कि भले ही NEET-UG 2024 परीक्षा के संचालन में किसी की तरफ से 0.001 प्रतिशत लापरवाही हुई हो, लेकिन इसकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिए।
विवाद के बीच, केंद्र सरकार ने 22 जून को एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार को हटा दिया और परीक्षा में हुई कथित धांधली की जांच सीबीआई को सौंप दी।
23 जून को अधिकारियों ने बताया कि नीट-यूजी में पहले ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 उम्मीदवारों में से 813 ने दोबारा परीक्षा दी।
27 जून को नीट पेपर लीक मामले में सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की। सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए पटना से नीट पेपर लीक मामले के आरोपी मनीष प्रकाश और आशुतोष को गिरफ्तार किया।
उधर 1 जुलाई को एनटीए ने संशोधित परिणाम घोषित किया। इसके बाद परीक्षा में शीर्ष रैंक साझा करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई।
नीट यूजी परीक्षा में आरोपी कौन-कौन हैं?
सीबीआई ने 16 जुलाई को नीट-यूजी 2024 पेपर लीक मामले में दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पंकज कुमार और राजू सिंह को क्रमश: पटना और हजारीबाग से गिरफ्तार किया गया। मुख्य आरोपी पंकज कुमार झारखंड के बोकारो का रहने वाला है। उस पर हजारीबाग में एनटीए के ट्रंक से प्रश्नपत्र चुराने का आरोप है। बताया जाता है कि दूसरे आरोपी राजू सिंह ने पंकज कुमार की मदद की थी।
पंकज पेपर लीक मामले में हजारीबाग से गिरफ्तार किया गया चौथा व्यक्ति है। जांच एजेंसी ने पहले ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल अहसानुल हक, वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज आलम और एक स्थानीय पत्रकार जमालुद्दीन को हजारीबाग से गिरफ्तार किया था। केंद्रीय एजेंसी ने स्कूल में तलाशी ली थी और परिसर से सबूत जुटाए थे।
11 जुलाई को सीबीआई ने इस मामले में एक बड़ी सफलता हासिल की जब उसने बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले मुख्य आरोपी राकेश राजन उर्फ रॉकी को गिरफ्तार किया। रॉकी को विशेष सीबीआई अदालत ने पूछताछ के लिए एजेंसी को 10 दिनों की हिरासत में दे दिया है। रॉकी पर आरोप है कि उसने लीक के बाद प्रश्नपत्र हल करने के लिए लोगों की व्यवस्था की थी। वह संजीव मुखिया के गिरोह के सदस्यों में से एक है, जिसे इस मामले का सरगना माना जाता है। रॉकी ने प्रश्नपत्र हल करने के लिए पटना और रांची से एमबीबीएस छात्रों की व्यवस्था की थी।
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