कई बार झूठ इतनी होशियारी से धर्म और ईमान की दुहाई देता है कि नैतिकता, स्तब्ध रह जाती है .वो ये समझ ही नहीं पाती कि ये हो क्या रहा है ? उसकी स्तब्धता उसका दोष मान लिया जाता है। ये बात इसलिए क्योंकि पाकिस्तान में ऐसा 7 दशक से ज्यादा समय से हो रहा है। वहां के हुक्मरान, अपनी नाकामी और विफलता के लिए हिंदुस्तान को कसूरवार ठहराते आए हैं और अब भी ठहरा रहे हैं.
जनता जगने लगी तो फौजी हकलाने लगे, हुक्मरान बौखलाने लगे
खैरात में मिले पैसों से गोला बारूद और असलहे खरीदते रहे. हिंदुस्तान के खिलाफ बेवजह जंग छेड़ते रहे. मुफलिसी की मारी अपनी जनता को भारत विरोधी चूरन चटाते रहे. 7 दशक तक तो पाकिस्तान की जनता बेवकूफ बनी रही. लेकिन हाल फिलहाल के वर्षों में वहां की जनता, जगने लगी थी. अपने रहबरों से सवाल करने लगी थी. जिससे वहां के हुक्मरान बौखलाने लगे थे. फौजी हकलाने लगे थे. भारत के खिलाफ दुष्प्रचार जोर शोर से चलाया जाने लगा .एक तरफ जहां पाकिस्तान की अवाम अपने हुक्मरानों को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखने की सलाह देकर हालत सुधारने की सलाह देती है. वहीं पाकिस्तान के कई लोग अब भी हिंदुस्तान और पीएम मोदी की तरक्की को झूठ के चश्मे से देख रहे हैं. हिंदुस्तान में जारी चुनावी हलचल पर पाकिस्तान के हुक्मरान भले ही खामोश हों लेकिन वहां की जनता, हिंदुस्तान में हो रहे इलेक्शन से खुद को दूर नहीं रख पा रही. कराची के एक शहरी कहते हैं कि-‘हिंदुस्तान में मुसलमानों पर जुल्म ढाया जा रहा है. तीसरी दफा भी अगर मोदी सरकार हुकूमत में आती है तो वहां के मुसलमानों का अल्लाह ही मालिक है’.
हिंदुओं को बढ़ावा देती है मोदी सरकार
ऐसी ही बात कराची के ही रहने वाले जुनैद कहते हैं. बकौल जुनैद -‘मोदी सरकार ने पूरे सिस्टम को कंट्रोल कर लिया है. इलेक्शन के समय मोदी सरकार मुसलमानों के खिलाफ पॉलिसियां बनाती है और हिंदुत्व को बढ़ावा देती है. खालिस्तान तहरीक के नाम पर सिखों को मारा जा रहा है. वहां हुकूमत के खिलाफ जाने वालों पर सरकार कार्रवाई करती है. यहां तक कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले मीडिया चैनल्स को भी बंद कर दिया जाता है. मोदी सरकार चाहती है कि पचास साल तक उसका ही राज रहे.’
जुनैद को असलियत से कौन परिचित कराए ?
जुनैद जैसे लोगों से कोई पूछे तो कि हिंदुस्तान में मोदी सरकार ने कितने न्यूज़ चैनल्स बंद किए ? लेकिन जुनैद को असलियत से कौन परिचित कराए ? क्या ये सच नहीं है कि पाकिस्तान में सिसायतदान भारत का विरोध करने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि वहां यही उनकी रोजी रोटी का जरिया है. अक्सर फायदा देने वाली चीज कड़वी होती है.उसे मजबूरी में ही लिया जाता है. चाहे कड़वी दवा हो या कड़वा सच.लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान इस छोटी सी बात को नहीं समझते.इसलिए गलती पर गलती करते हैं. गलतियाँ करना गलत नहीं, लेकिन गलतियों से कुछ न सीखना बहुत गलत है।