वक्फ कानून को राजनीतिक दल अपने-अपने फायदा और नुकसान को लेकर बयान दे रहे हैं. इस कानून का सर्वाधिक विरोध पश्चिम बंगाल में हो रहा है। खासकर मुर्शिदाबाद के धुलियान और आसपास के मुस्लिम बहुल इलाकों में जहां पिछले दिनों हुई हिंसा में तीन लोग मारे गए थे वहां पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिए गए हैं और भय और अनहोनी की आशंका से घर छोड़कर भागे लोग धीरे-धीरे घरों को लौटने लगे हैं।
इसे लेकर सियासत तेज हो गई है भाजपा की ओर से केंद्र से राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जा रही है वहीं ममता बननी मुस्लिम वोट बैंक साधने में जुटी हैं। उन्होंने आज मौलवियों का सम्मेलन किया और उसमें भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं खासकर चंद्रबाबू नायडु और नीतीश कुमार को विधेयक का समर्थन देने के लिए जमकर आड़े हाथों लिया।
ममता बनर्जी ने कोलकाता के नेताजी इनडोर स्टेडियम में मुस्लिम धर्म गुरुओं (मौलवियों) की बैठक बुलाई और बैठक में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा राज्य का माहौल बिगाड़ना चाहती है और हिंदू-मुस्लिम कर हमारी सरकार गिराकर सत्ता में आना चाहती है। उन्होंने हिंसा की रिपोर्ट को बंगाल को बदनाम करने के लिए फेक मीडिया रिपोर्ट करार दिया। दूसरी तरफ भाजपा इसे मुस्लिम तुष्टिकरण करार दे रही है। बंगाल में हिंसा पर कांग्रेस पार्टी को ममता बनर्जी की आलोचना कर रही है लेकिन एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस पूरे प्रकरण से अपना पल्ला झाड़ लिया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने वक्फ संशोधित कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। बुधवार को कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिघवी और राजीव धवन ने मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से उनके पक्ष में अदालत के समक्ष अपनी दलीलें रखीं। केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। ये सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।
ये भी पढ़ें:-<वक्फ घोटाला: AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को हाईकोर्ट का नोटिस