लोकगीतों को मर्यादा, परंपरा और संस्कार के साथ गाने वाली इस महान शख्सियत की छठ के गानों की बदौलत से दशकों से अटूट पहचान बन चुकी थी। दुनिया भर में जहां-जहां छठ मनाया जाता रहा है, वहां शारदा सिन्हा की आवाज ही इस पर्व के दौरान गूंजती रही थी। छठी मां की यह लाड़ली बेटी छठ के दिनों में छठी माता के पास चली गई।
उल्लेखनीय है कि शारदा सिन्हा उस दौर की कलाकार रही थीं जब महिलाओं का गाना गाना आसान नहीं था। लेकिन शारदा सिन्हा ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से कला जगत में स्त्रियों की उपस्थिति को सम्मान दिलायाए सबको सिखाया कि यदि कलाकार चाहे तो फूहड़ता से कोसों दूर रहकर केवल अपनी कला के दम पर अपनी माटी, अपनी बोली, अपने अंचल और अपनी संस्कृति का पर्याय बन सकता है। पद्मभूषण और सैकड़ों राष्ट्रीय तथा अन्य पुरस्कारों से सम्मानित शारदा सिन्हा ने मिथिला, भोजपुरी, मगही समेत कई भाषाओं में गाने गाए।
लाल दमकती बिंदिया, सिंदुर भरी मांग, चश्मे के पीछे चमकती मुस्कराती बड़ी बड़ी आंखें, माटी की खनक, मिजाज की ठसक, गरिमा और मात्त्व से लबालब मुस्कान की इस स्वामिनी को भोजपुरी और मैथिली की लता मंगेशकर कहा जाता था। सुपौल में जन्मी और बिहार कोकिला के रूप में शारदा सिन्हा की ससुराल बेगुसराय में थी जिससे उन्हें अटूट प्रेम था और वह हर साल छठ के दौरान नियमित रूप से वहीं जाया करती थी।
बचपन से ही उनकी संगीत में गहरी रूचि थी इसलिए उन्होंने इसी में अपना कैरियर बनाया। म्युजिक में पीएचडी करने के बाद वह समस्तीपुर के कॉलेज में प्रोफेसर बन गईं। बॉलीवुड के लिए भी उन्होंने कई गाने गाए जिनमें फिल्म मैने प्यार किया का गाना ` कहे तोसे सजना , हम आपके हैं कौन का ` बाबुल जो तुमने सिखाया और गैंग्स ऑफ वासेपुर का गाना ` तार बिजली से पतले हमारे पिया` बहुत लोकप्रिय हुए। उन्होंने वेब सीरिज महारानी का गाना ` निर्मोहिया ` गाया था। उनका आखिरी छठ गाना ` दुखवा मिटाई छठी मैया` था।
शारदा सिन्हा ने टी.सीरिज, एचएमवी और टिप्स के साथ नौ एलबमों में 62 छठ गीत रिकॉर्ड किए। ` केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके ` और ` सुनअ छठी माय ` उनके प्रसिद्ध छठ गीतों में से हैं। मैथिली के प्रसिद्ध कवि विद्यापति के गीत ` जय जय भैरव असुर भयाउनि ` और भोजपुरी गीत ` जगदम्बा घर में दिअरा बार अइनि हे` उनके अमर गीतों में से हैं। उन्हें 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। भारतीय संस्कृति और भोजपुरी को शारदा सिन्हा ने जो गरिमा प्रदान की, उसका आकलन कर पाना नामुमकिन है।
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