शर्मनाक हार के साथ ही भारतीय टीम का डब्ल्यूटीसी के फाइनल में जाने का सपना टूटा

भारत ने आखिर सिडनी क्रिकेट ग्रांउड पर ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम के आगे घुटने टेक ही दिए। भारतीय टीम के लचर प्रदर्शन ने बहुत निराश किया।

ट्राफी के साथ जश्न मनाती आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम
Written By : शशि झा | Updated on: January 6, 2025 12:10 am

भारत ने आखिर सिडनी क्रिकेट ग्रांउड पर ऑस्ट्रेलिया की मजबूत टीम के आगे घुटने टेक ही दिए। सीरिज के पांचवें और अंतिम मैच के दूसरे दिन चार रनों की सांकेतिक लेकिन बहुमूल्य लीड लेकर भारत ने जो थोड़ी बहुत उम्मीद जगाई थी, तीसरे दिन वह चकनाचूर हो गई। भारत की हार के साथ टूट गया डब्ल्यूटीसी के फाइनल में जाने का सपना। अब लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर ऑस्ट्रेलिया 11 जून, 2025 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खिताबी मुकाबले में भाग लेगी।

देश के क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह वाकई रहस्य की ही बात है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि पिछले कुछ वर्षों से लगभग अजेय माने जानी वाली भारतीय होम सीरिज में न्यूजीलैंड जैसी टीम जो श्रीलंका में बुरी तरह हार कर भारत आई थी, ने भारत को टेस्ट श्रृंखला में 3-0 से हरा दिया। ऐसा दशकों से कोई टीम नहीं कर पाई थी। और इसके तुरंत बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बोर्डर-गावस्कर ट्राफी ( बीजीटी ) श्रृंखला में भारत को 2-1 से शिकस्त खानी पड़ी जो 3-1 भी हो सकती थी। भारत के किसी भी बल्लेबाज ने जीवट का प्रदर्शन नहीं किया। जायसवाल, राहुल, नीतिश और कोहली की भी एक-एक पारी को छोड़ दिया जाए तो इतने दयनीय भारत के बल्लेबाज दशकों में नहीं दिखे थे।

भारत की हार की कई वजहें गिनाई जा सकती हैं जैसे प्लेईंग 11 में लगातार बदलाव, बैटिंग पोजीशन में परिवर्तन, कोहली का और विशेष रूप से कप्तान रोहित शर्मा का बेहद घटिया प्रदर्शन। कमिंस और बोलैंड जैसे गेंदबाजों के खिलाफ वे बिल्कुल नौसिखिया प्रतीत हुए। रोहित तीन टेस्ट की पांच पारियों में केवल 31 रन बना सके और पांचों बार उन्हें कमिंस ने आउट किया। कोहली ने नौ पारियों में 23.75 की औसत से 190 रन बनाये और पर्थ तथा मेलबर्न की दो पारियों में बनाए 136 रन को छोड़ दिया जाए तो शेष सात पारियों में उनके बल्ले से केवल 54 रन निकले।

हद तक तक दिखी जब कोहली नौ पारियों में से आठ बार ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद पर आउट हुए। ऑस्ट्रेलिया में पहले खेल चुके इन दोनों सबसे अनुभवी बल्लेबाजों का लचर प्रदर्शन हार की सबसे बड़ी वजह रही। भारत के लिए एकमात्र आशा की किरण रहे तेज गेंदबाज बुमराह लेकिन उन्हें दूसरे छोड़ से अपेक्षित सहायता नहीं मिल पाई। पांचवें टेस्ट मैच में उनकी उपस्थिति से काफी उम्मीदें बन सकती थीं लेकिन वह चोटिल होकर मैदान से बाहर थे।

स्पिनरों सहित गेंदबाजों का चयन भी निराशाजनक रहा। कई मौकों पर राहुल, गिल और पंत ने भी लापरवाही से अपने विकेट गवां दिए।कुल मिलाकर भारतीय टीम का यह ऐसा दयनीय प्रदर्शन रहा जिसे भुला पाना देश के क्रिकेट प्रेमियों के लिए बहुत कठिन होगा।

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