ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर दो दिवसीय दौरे पर 8 को आयेंगे भारत

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर 8 और 9 अक्टूबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं। मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात के दौरान दोनों नेता India-UK CETA और व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा करेंगे।

Written By : उदय सिंह | Updated on: October 4, 2025 11:55 pm

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर (Keir Starmer) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर 8 और 9 अक्टूबर को पहली बार भारत के दौरे पर आ रहे हैं। कीयर स्टार्मर का भारतीय दौरा भारत–ब्रिटेन संबंधों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी सहयोग के नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।

कीयर स्टार्मर का भारतीय दौरा

इस दौरान दोनों नेता 9 अक्टूबर को मुंबई में मुलाक़ात करेंगे। बैठक में India–UK CETA (Comprehensive Economic and Trade Agreement) के अंतर्गत व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) और व्यापार के अवसरों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और स्टार्मर मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के छठे संस्करण में भी एक साथ शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के वित्तीय और तकनीकी क्षेत्र के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

ट्रम्प टैरिफ़ की पृष्ठभूमि में अहम मुलाक़ात

यह दौरा उस समय हो रहा है जब भारत और ब्रिटेन के संबंध नई दिशा ले रहे हैं। मई 2025 में अमेरिका द्वारा लगाए गए तथाकथित “ट्रम्प टैरिफ़” की घोषणा के तुरंत बाद भारत और ब्रिटेन ने एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौता किया था। प्रधानमंत्री स्टार्मर ने इसे ब्रेक्ज़िट के बाद ब्रिटेन के लिए “सबसे बेहतरीन समझौता” बताया था।

इस समझौते के तहत ब्रिटेन ने भारत से आयात होने वाले कपड़ों, जूतों, खाद्य पदार्थों, गहनों और गाड़ियों पर करों में कटौती की थी। वहीं भारत ने ब्रिटेन से आने वाले कॉस्मेटिक, शराब, सॉफ़्ट ड्रिंक्स, लक्ज़री गाड़ियां, मीट और एयरोस्पेस क्षेत्र से जुड़े उत्पादों पर टैक्स में रियायत दी थी। ब्रिटेन की आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए यह समझौता उसके लिए बेहद ज़रूरी था। वहीं भारत के लिए भी यह अहम साबित हुआ, खासकर उस समय जब अमेरिका के साथ उसके कुछ समझौते अस्थिर हो रहे थे।

विशेषज्ञों का मानना है कि कीयर स्टार्मर का भारतीय दौरा भारत–ब्रिटेन संबंधों को नई ऊँचाई देगा। इससे न सिर्फ़ व्यापार और निवेश में वृद्धि होगी, बल्कि तकनीक, शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग और मज़बूत होगा। मुंबई में होने वाली इस ऐतिहासिक मुलाक़ात से दोनों देशों के बीच गहरे होते रिश्तों की नई परिभाषा तय होने की उम्मीद है।

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