रोमांचित कर देने वाला आनंद देता है यतीश कुमार का काव्य संग्रह “आविर्भाव”

यतीश कुमार बर्तमान में हिंदी के चर्चित कवि और लेखक हैं. यतीश पेशे से इंजनियर हैं .उनकी कविताओं और उपन्यास को पढ़कर आपको एहसास होगा कि यतीश किसी विशेष परंपरा के कवि या लेखक नहीं हैं ,उनकी लेखनी में जीवन की सच्चाई है, यथार्थ है और अनुभव के पेटी से निकला यथार्थ है .बहुत गंभीरता से पढ़ना पड़ता है यतीश को.

पुस्तक के आवरण पृष्ठ का अंश
Written By : प्रमोद कुमार झा | Updated on: November 12, 2025 8:12 pm

अपने जीवन के कटु मधु अनुभव को बहुत सरल और रोचक ढंग से उन्होंने कहानी में पिरोया है .और वही आईना उनकी कविताओं में भी दिखाई देता है . “आविर्भाव ” काव्य संग्रह के संबंध में प्रसिद्ध कवि देवी प्रसाद मिश्र लिखते हैं:’ अमूमन उपन्यास और कविता को अपनी संरचनाओं में एक -दूसरे का विपरीत और विलोम माना जा सकता है। लेकिन यतीश बहुत मौलिक तरीके से दोनों को किसी कृतिकार पारस्परिकता में देखना शुरू करते हैं।

वह उपन्यास को कविता की तात्विकता में घटित करने का जोखिम उठाते हैं।” देवी प्रसाद मिश्र जी आगे लिखते हैं :” काव्य के इस गद्य युग में इन कविताओं जैसा प्योर पोएट्री की तरफ जाता पोएटिसाइज्ड टेक्स्ट शायद ही किसी कवि के पास हो यह दिलाते हुए इस शुद्ध दिखती कविता में जीवन के द्वंद्व और उसकी दुर्वहता और क्षत-विक्षत करती उसकी सांसारिकता कभी ओझल नहीं होती।”

आविर्भाव में यतीश कुमार ने चर्चित ग्यारह अलग अलग उपन्यासकारों के अलग अलग ग्यारह उपन्यासों पर कविताएं लिखी हैं .यह एक पूरी तरह से अभिनव प्रयोग है . कुछ उपन्यासों का नाम देखें :1.मुझे चाँद चाहिए/सुरेंद्र वर्मा 2. मैंने मांडू नहीं देखा/स्वदेश दीपक 3.दीवार में एक खिड़की रहती है/ विनोद कुमार शुक्ल 4. कितने पकिस्तान /कमलेश्वर 5.कसप/मनोहर श्याम जोशी 6. मैला आँचल/फणीश्वर नाथ रेणु 7.कलि-कथा वाया बाई पास/अलका सरावगी 8.जूठन/ओमप्रकाश वाल्मीकि 9. स्पीति में बारिश/कृष्णनाथ 10.आइनसाज़:अनामिका और1 11. थलचर/ कुमार अम्बुज. 176 पृष्ठ के इस संग्रह में बहुत रोचक ढंग से इन सारे उपन्यासों पर काव्यत्मक विवेचना प्रस्तुत की गई है .

मैला आँचल (फणीश्वर नाथ रेणु) पर इनकी कविता देखिये : “…….यादव कायस्थ में घुल गए/और राजपूत स्वयं हवन करने लगे/महंत बन गए गिद्ध/अनपढ़ सन्त हो गए/ गाँव अब ऐसा हो गया/ जहाँ कौवे को भी मलेरिया हो जाता है।” संग्रह पढ़कर एक रोमांचित करने वाला आनंद आता है. संग्रह पठनीय ही नहीं ,संग्रहणीय भी है. पुस्तक2 की छपाई और साज सज्जा बेहद अकर्षक है.

पुस्तक: आविर्भाव, कवि: यतीश कुमार, पृष्ठ:176

प्रकाशक: राधाकृष्ण   पेपरबैक मूल्य:रु.299.

(प्रमोद कुमार झा तीन दशक से अधिक समय तक आकाशवाणी और दूरदर्शन के वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे. एक चर्चित अनुवादक और हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली के लेखक, आलोचक और कला-संस्कृति-साहित्य पर स्तंभकार हैं।)

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