मुख्य न्यायाधीश D. Y. Chandrachud ने 10 नवंबर को सेवानिवृत्ति होने से पहले मंगलवार को Allahabad हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए UP Madrasa Education Act की वैधता को बरकरार रखा है। उन्होंने इस एक्ट को संविधानिक रूप से सही बताया है। यह फैसला योगी सरकार के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों द्वारा PG और रिसर्च का सिलेबस तय करने वाले प्रावधान पर भी रोक लगा दी। यह एक्ट वर्ष 2004 में आया था।
Supreme Court ने अपने फैसले में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मदरसा एक्ट 2004 संवैधानिक रूप से सही है। इसके अलावा देश में धार्मिक शिक्षा कभी अभिशाप की तरह नहीं रही है। राज्य सरकार को मदरसे में ही धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा प्रणाली बच्चों को प्रदान करनी होगी। यह फैसला चीफ जस्टिस डी. वा. ई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने दिया है।
UP Madrasa Education Act क्यों लाया गया था
वर्ष 2004 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस कानून को पारित किया था।
UP में कितने गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा था
22 मार्च 2024 को हाई कोर्ट ने अपने 86 पेज के फैसले में मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित किया था। उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए सभी बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने को कहा था।
योगी सरकार द्वारा जारी पॉइंट्स जिन पर सर्वे हुआ था
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