कश्मीर में त्रासदी : किश्तवाड़ में मचैल माता यात्रा मार्ग पर बादल फटने से 52 लोगों की मौत, 50 घायल

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार को मचैल माता मंदिर मार्ग पर एक बड़ा हादसा हुआ। चशोती गांव के पास बादल फटने और उसके बाद आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचा दी। खबरों के मुताबिक दोपहर बाद एक से दो बजे के बीच हुए इस हादसे में कम से कम 52 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और 100 से अधिक अब भी लापता बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि एक लंगर में खाना खा रहे लोग इस हादसे के सबसे अधिक शिकार हुए हैं।

मचैल माता मंदिर मार्ग पर बादल फटने के बाद हुई भारी तबाही का दृश्य
Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: August 14, 2025 10:59 pm

चशोती वही स्थान है जहां से तीर्थयात्रियों की पैदल यात्रा मचैल माता मंदिर की ओर शुरू होती है। बादल फटने के दौरान हजारों श्रद्धालु और स्थानीय लोग मार्ग पर मौजूद थे। तेज़ धारा ने लंगर स्थल, अस्थायी ढांचों और राहगीरों को अपनी चपेट में ले लिया। राहत एजेंसियों का कहना है कि 50 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं और 100 से अधिक लापता हो सकते हैं।

राहत और बचाव अभियान

घटना के तुरंत बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर रवाना की गईं। सेना, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन भी बचाव में जुटे हैं। पहाड़ी इलाका और संचार व्यवस्था की कठिनाइयों के कारण राहत कार्य चुनौतीपूर्ण हो रहे हैं। अब तक दर्जनों लोगों को सुरक्षित निकाला गया है और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस हादसे को “अत्यंत दुखद” बताया और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पीड़ित परिवारों के साथ देश की पूरी संवेदना है और केंद्र सरकार हरसंभव मदद दे रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से बातचीत कर बचाव और राहत कार्यों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने भी इस हादसे पर गहरा शोक जताया है और  राहत पहुंचाने के काम में तेजी लाने की अपील की है।

यात्रा स्थगित

प्रशासन ने हालात को देखते हुए मचैल माता यात्रा को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। हर साल हजारों श्रद्धालु मचैल माता के दर्शन के लिए जाते हैं और इसे इस क्षेत्र की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्रों में  पर्यावरणीय असंतुलन और असंयमित विकास ऐसे हादसों के खतरे को और बढ़ा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी पिछले कुछ दिनों में बादल फटने की घटनाओं से भयानक तबाही मची है और जान-माल का बहुत नुकसान हुआ है।

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